भारत की मिसाइल और वायु रक्षा प्रणालियों के विकास में अहम भूमिका निभाने वाले सारस्वत ने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिए भारत ने दिखा दिया है कि वह आत्मनिर्भर है और किसी भी दिशा से आने वाले किसी भी खतरे का मुकाबला करने की क्षमता रखता है।
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सारस्वत ने कहा, जिस सटीकता के साथ हम दुश्मन के इलाके में लक्ष्य तक पहुंचने में सक्षम हुए, वह हमारे हथियारों की गुणवत्ता को दर्शाता है। आज सबसे बड़ी बात यह है कि रूस से लिए गए एस400 के अलावा, मुझे लगता है कि सभी मिसाइलें एलआरएसएएम, एमआरएसएएम, आकाश और सभी ड्रोन, सभी लड़ाकू विमान, सब कुछ, देश में ही निर्मित हैं- डिजाइन, विकसित और निर्मित।
आकाश, एमआरएसएएम (मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल) और एलआरएसएएम (लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल) भारत की बहुस्तरीय वायु रक्षा प्रणाली के प्रमुख घटक हैं। नीति आयोग के सदस्य सारस्वत ने याद किया कि कैसे मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) के तहत अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा भारत पर लगाए गए प्रतिबंध, देश के लिए अपने हथियार प्रणालियों के लिए स्वदेशी प्रौद्योगिकियों और घटकों को विकसित करने का अवसर बन गए।
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सारस्वत ने कहा, हमने अपनी सभी मिसाइल प्रणालियों का विकास किया है, चाहे वे वायु रक्षा प्रणालियां हों या सामरिक मिसाइलें, बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणालियां या अग्नि, पृथ्वी जैसी लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें हों। इन सभी को एमटीसीआर के तहत विकसित किया गया है। इसलिए हर कदम पर हमें अंतरराष्ट्रीय समुदाय से समर्थन नहीं मिलने की चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
उन्होंने कहा कि भारत को अपनी मिसाइल प्रणालियों के विकास के लिए आवश्यक सामग्री, घटकों और प्रौद्योगिकियों से वंचित रखा गया।डीआरडीओ के पूर्व प्रमुख ने कहा, हम एमटीसीआर का हिस्सा नहीं थे, इसलिए हमारे अपने बहुत अच्छे मित्र भी हमें तकनीक नहीं दे रहे थे।
सारस्वत ने याद किया कि किस प्रकार पूर्व राष्ट्रपति दिवंगत डॉ. अब्दुल कलाम के नेतृत्व में डीआरडीओ ने इस चुनौती को स्वदेशी प्रौद्योगिकी विकास के अवसर में बदल दिया। डीआरडीओ के पूर्व प्रमुख ने कहा कि इससे भारत को आज देश की हथियार प्रणालियों में 70-80 प्रतिशत से अधिक स्वदेशीकरण हासिल करने में मदद मिली।
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उन्होंने कहा, हम आज भी विदेश (आपूर्ति) पर निर्भर हैं, लेकिन इसलिए नहीं कि हम इसे यहां नहीं कर सकते, बल्कि इसलिए कि यह लागत प्रभावी नहीं है। कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिनकी बहुत कम संख्या में आवश्यकता होती है, लेकिन इतनी कम संख्या के लिए सुविधा स्थापित करने की लागत बहुत अधिक होती है, इसलिए हम आयात करते हैं।
सारस्वत ने कहा, अतः कुल मिलाकर मैं यह कहना चाहूंगा कि भारत ऊंची उड़ान भर रहा है और जहां तक रक्षा, अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा और अन्य क्षेत्रों का सवाल है, आत्मनिर्भरता का मिशन पूरा हो रहा है। उन्होंने कहा कि भारत की मारक क्षमता का मुकाबला करने के लिए पाकिस्तान के पास कोई मौका नहीं है।
भविष्य के युद्ध और इसकी बदलती गतिशीलता के बारे में सारस्वत ने कहा कि भारत के शस्त्रागार में हाइपरसोनिक मिसाइलों और निर्देशित ऊर्जा हथियारों जैसे भविष्य के हथियारों का हिस्सा बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि युद्ध के तरीके में बदलाव से प्रौद्योगिकी के विकास में मदद मिल रही है।
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सारस्वत ने कहा, एक समय था जब हम युद्ध लड़ने के लिए दुश्मन की सीमा में प्रवेश करते थे, लेकिन आज हम नियंत्रण रेखा पार नहीं करते। हमारे सभी हथियार ‘स्टैंड ऑफ’ हथियार हैं और हम दुश्मन की सीमा के अंदर लक्ष्यों तक पहुंच रहे हैं। इसलिए युद्ध का पूरा स्वरूप बदल रहा है।
सारस्वत ने कहा, लेजर किरणें कुछ ही समय में ड्रोन को नष्ट करने में सक्षम होगी और जैसा कि आप जानते हैं, लेजर किरणें प्रकाश की गति से यात्रा करती है। इसलिए आप देख सकते हैं कि इतने कम समय में आप संपूर्ण क्षति कर सकते हैं और ऐसे में किसी को हिलने का मौका भी नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि भारत के निर्देशित ऊर्जा हथियार तैयार हो रहे हैं। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour