सूर्य देव को जल चढ़ाने के पीछे का विज्ञान और लाभ
newzfatafat May 15, 2025 12:42 PM
सूर्य पूजा का महत्व

लाइव हिंदी खबर :- भारतीय संस्कृति में भगवान के प्रति गहरी आस्था है। लोग अपने दुखों को भगवान के हाथों में सौंप देते हैं। सुबह की पूजा से लेकर सूर्य देव को जल चढ़ाने की परंपरा, जो सदियों से चली आ रही है, सभी में एक गहरा विज्ञान छिपा है।


हमारी धार्मिक मान्यताएं अक्सर किसी न किसी वैज्ञानिक कारण से जुड़ी होती हैं। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि सूर्य देव को जल चढ़ाने का भी एक वैज्ञानिक आधार है।


रंगों का संतुलन

सूर्य को जल चढ़ाने के पीछे रंगों का विज्ञान छिपा है। जब हमारे शरीर में रंगों का संतुलन बिगड़ता है, तो हम कई बीमारियों का शिकार हो सकते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, सुबह सूर्य देव को जल चढ़ाने से शरीर में रंगों का संतुलन बना रहता है, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।


रीढ़ की हड्डी की समस्याओं से राहत

सूर्य नमस्कार की योग मुद्रा से न केवल ध्यान केंद्रित होता है, बल्कि रीढ़ की हड्डी की समस्याएं भी दूर होती हैं। नियमित जल चढ़ाने से प्राकृतिक संतुलन भी बना रहता है, क्योंकि यह जल वाष्पित होकर बारिश में योगदान देता है।


एकाग्रता में वृद्धि

सूर्य देव को जल चढ़ाने की प्रक्रिया में ताम्र पात्र में जल भरकर सूर्योदय के बाद विशेष योग मुद्रा में जल की धार गिराई जाती है। इस क्रिया से सूर्य की प्रकाश रश्मियों को ध्यान से देखा जाता है, जिससे मन की शांति और एकाग्रता बढ़ती है।


ग्रहों पर प्रभाव

गहराई में जाने पर यह भी पता चलता है कि रंगों का विज्ञान ज्योतिष और रत्न विज्ञान से जुड़ा है। रंगों के आधार पर रत्नों का चयन किया जाता है, जो विशेष ग्रहों को प्रभावित करने में सक्षम होते हैं। किसी ग्रह की नकारात्मक ऊर्जा को विशेष रंगों के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है।


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