वन विभाग ने राजस्थान के रणथंभौर टाइगर रिजर्व में मानव जीवन के लिए खतरा बने बाघों की जांच के लिए एक समिति गठित की है। हाल ही में रणथंभौर में बाघों द्वारा मनुष्यों पर घातक हमले की दो बड़ी घटनाएं हुईं। इनमें 16 अप्रैल को रणथंभौर में गणेश मंदिर जाते समय 7 वर्षीय बालक की मौत हो गई थी और हाल ही में एक वन विभाग अधिकारी को भी बाघ ने मार डाला था। जानकारी के अनुसार दोनों ही मामलों में एक ही बाघ होने की पुष्टि हुई है। यह बाघिन एरोहेड का शावक है, जो वर्तमान में 20 महीने का है।
वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस समिति का गठन राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के प्रोटोकॉल के अनुसार किया गया है। एनटीसीए प्रतिनिधि के अलावा इसमें मुख्य वन्यजीव वार्डन, स्थानीय एनजीओ, पंचायत प्रतिनिधि और फील्ड निदेशक शामिल हैं। अधिकारी ने बताया कि जब किसी बाघ द्वारा मानव जीवन लेने का संदेह हो तो ऐसी समिति गठित करना मानक प्रोटोकॉल है। समिति पूरी घटना की विस्तार से जांच करेगी तथा इस संबंध में आगे क्या कदम उठाए जाने चाहिए, इस पर भी अपनी राय देगी।
समिति यह निर्धारित करेगी कि बाघ का मनुष्यों पर हमला अचानक था या वह मनुष्यों को मारने और खाने का आदी हो गया है। विभागीय अधिकारियों का सुझाव है कि यदि रिपोर्ट सही पाई जाती है तो बाघ को चिड़ियाघर में रखना या अन्यत्र स्थानांतरित करना उचित होगा।
वन विभाग के अधिकारियों का यह भी मानना है कि एरोहेड अब शिकार करने और अपने बच्चों के लिए भोजन लाने में सक्षम नहीं है तथा उसके बच्चे अपने आस-पास मनुष्यों की उपस्थिति के आदी हो गए हैं। ऐसे ही एक मामले में, आदमी और बाघ के बीच की दूरी कम हो गई होगी, जिसके कारण बाघ घबरा गया और उसने हमला कर दिया। गश्त करते हुए जब रेंजर जंगल में रुके तो वहां बाघ मौजूद था। तभी बाघ ने अचानक उस पर हमला कर दिया।