कैंसर एक खतरनाक बीमारी है, जिसका नाम सुनते ही लोग घबरा जात हैं. न जाने कितने लोग इससे जंग हार जाते हैं और मौत के मुंह में चले जाते हैं. हालांकि इसका सही समय पर पता लगने पर इससे बचा जा सकता है. सिर और गर्दन के कैंसर से ठीक होना एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें शारीरिक, मानसिक और सामाजिक चुनौतियां शामिल होती हैं. इस दौरान मरीज को परिवार, देखभाल करने वालों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों का सहयोग बेहद जरूरी होता है, जिससे वह न केवल दोबारा हेल्दी हो सकते हैं, बल्कि व्यक्ति जल्द आत्मनिर्भरता बन सकता है.
ऐसे में आज हम डॉ. अक्षत मलिक (प्रिंसिपल कंसल्टेंट, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, कैंसर केयर / ऑन्कोलॉजी, हेड एंड नेक ऑन्कोलॉजी, रोबोटिक सर्जरी, मैक्स हॉस्पिटल, साकेत, नई दिल्ली ) से उन प्रभावी उपायों के बारे में जानेंगे जो सिर और गर्दन के कैंसर से जूझ चुके मरीजों की रिकवरी को बेहतर बना सकते हैं.
डॉ. अक्षत मलिक ने बताया कि इलाज के बाद गर्दन और कंधों की गति को बहाल करने, निगलने और बोलने की क्षमता सुधारने के लिए फिजियोथेरेपी बेहद जरूरी होते हैं. फिजियोथेरेपिस्ट द्वारा बताई गई एक्सरसाइज़ से दर्द कम किया जा सकता है, ताकत बढ़ाई जा सकती है और रिकवरी की प्रक्रिया को तेज किया जा सकता है.
इलाज के बाद निगलने में तकलीफ (डिस्फेज़िया) आम समस्या है. ऐसे में डाइटीशियन मरीज की स्थिति के अनुसार एक खास डाइट प्लान बना सकता है, जिसमें शुरुआत में मुलायम या प्यूरी फूड दिए जाते हैं और धीरे-धीरे सामान्य आहार की ओर बढ़ा जाता है. पर्याप्त कैलोरी और प्रोटीन लेना ज़रूरी होता है ताकि घाव जल्दी भरें, ताकत बनी रहे और सम्पूर्ण सेहत सुधरे.
मुंह, गला या स्वरयंत्र में सर्जरी या रेडिएशन से निगलने और बोलने में बाधा आ सकती है. स्पीच-लैंग्वेज पैथोलॉजिस्ट (SLP) निगलने और बोलने की क्षमता सुधारने के लिए एक्सरसाइज और रणनीतियां सिखाता है. इससे आवाज की स्पष्टता और गुणवत्ता में भी सुधार होता है.
इलाज के बाद नियमित रूप से ऑन्कोलॉजिस्ट और सर्जनों से मिलना जरूरी होता है ताकि रिकवरी की निगरानी की जा सके, किसी भी साइड इफेक्ट को समय रहते पहचाना जा सके और यदि बीमारी दोबारा हो, तो उसका तुरंत इलाज हो सके. जरूरत पड़ने पर डॉक्टर अन्य विशेषज्ञों जैसे SLP या डाइटीशियन के पास भी रेफर कर सकते हैं.
कैंसर के दौरान या इलाज के बाद जब बोलने, खाने या चेहरे की बनावट में बदलाव होता है, तो मानसिक तनाव और सामाजिक अलगाव बढ़ सकता है. ऐसे में भावनात्मक समर्थन, खुलकर बातचीत करने की प्रेरणा और मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों या सपोर्ट ग्रुप से संपर्क कराना बेहद मददगार साबित हो सकता है.
इलाज के दौरान और बाद में मुंह की सेहत प्रभावित हो सकती है, जिससे सूखा मुंह, इन्फेक्शन या जबड़े की जकड़न जैसी समस्याएं हो सकती हैं. ऐसे में मरीज को पोस्ट-कैंसर देखभाल में प्रशिक्षित डेंटिस्ट से दिखाना चाहिए.
हल्की-फुल्की एक्सरसाइज़, पोषक तत्वों से भरपूर आहार, पर्याप्त पानी पीना और तंबाकू व शराब से दूरी—ये सब चीजें थकान को कम करती हैं, मूड को बेहतर बनाती हैं और रिकवरी में मदद करती हैं. साथ ही दोबारा कैंसर होने के जोखिम को भी कम करती हैं.
सिर और गर्दन के कैंसर से उबरने वाले मरीजों की मदद के लिए समग्र दृष्टिकोण अपनाना जरूरी है. निगलने और बोलने की थेरेपी के साथ-साथ पोषण, भावनात्मक सहयोग और फिजिकल रिकवरी पर ध्यान देकर हम उनकी जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बना सकते हैं. सही देखभाल और दयालुता के साथ ये मरीज आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता के साथ जीवन को फिर से संवार सकते हैं.