थायराइड एक ऐसी स्थिति है जो शरीर के मेटाबॉलिज्म, ऊर्जा स्तर और समग्र स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। चाहे हाइपोथायराइडिज्म हो या हाइपरथायराइडिज्म, सही खानपान इस स्थिति को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आयुर्वेद और आधुनिक पोषण विज्ञान के अनुसार, कुछ खाद्य पदार्थ थायराइड के मरीजों के लिए वरदान साबित हो सकते हैं। ये न केवल लक्षणों को कम करते हैं, बल्कि थायराइड ग्रंथि को बेहतर ढंग से काम करने में मदद करते हैं। आइए, जानते हैं कि थायराइड के मरीज किन चीजों को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं और इनके क्या फायदे हैं।
आयोडीन थायराइड हार्मोन के उत्पादन के लिए आवश्यक है, और इसकी कमी हाइपोथायराइडिज्म का कारण बन सकती है। थायराइड के मरीज आयोडीन से भरपूर खाद्य पदार्थ, जैसे समुद्री शैवाल (सीवीड), मछली, दही और आयोडीन युक्त नमक, को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। हालांकि, हाइपरथायराइडिज्म के मरीजों को आयोडीन की मात्रा सीमित रखनी चाहिए। आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थ थायराइड ग्रंथि को संतुलित करते हैं और मेटाबॉलिज्म को बेहतर बनाते हैं। इन्हें संतुलित मात्रा में खाना जरूरी है, और किसी भी बदलाव से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें। समुद्री शैवाल को सलाद या सूप में शामिल किया जा सकता है, जो स्वाद और सेहत दोनों को बढ़ाता है।
सेलेनियम एक महत्वपूर्ण खनिज है जो थायराइड हार्मोन को सक्रिय करने और ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने में मदद करता है। ब्राजील नट्स, सूरजमुखी के बीज, अंडे और टूना मछली सेलेनियम के अच्छे स्रोत हैं। थायराइड के मरीजों को रोजाना 2-3 ब्राजील नट्स या मुट्ठीभर सूरजमुखी के बीज खाने चाहिए। ये खाद्य पदार्थ थायराइड ग्रंथि की सूजन को कम करते हैं और हार्मोन उत्पादन को संतुलित करते हैं। आयुर्वेद में सेलेनियम युक्त आहार को पाचन और इम्यूनिटी के लिए भी फायदेमंद माना जाता है। इन्हें स्मूदी, सलाद या स्नैक के रूप में ले सकते हैं, जो पोषण और स्वाद दोनों देता है।
थायराइड के मरीजों को अक्सर कब्ज और वजन बढ़ने की समस्या होती है, खासकर हाइपोथायराइडिज्म में। फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ, जैसे ओट्स, साबुत अनाज, हरी सब्जियां (पालक, ब्रोकली) और फल (सेब, नाशपाती), पाचन को बेहतर बनाते हैं और वजन को नियंत्रित रखते हैं। फाइबर ब्लड शुगर को स्थिर करता है और थायराइड से जुड़े लक्षणों, जैसे थकान और सुस्ती, को कम करता है। रोजाना सुबह ओट्स का नाश्ता या हरी सब्जियों का सूप लिवर और आंतों को डिटॉक्स करता है। आयुर्वेद में फाइबर को पाचन अग्नि को संतुलित करने वाला माना जाता है, जो थायराइड के मरीजों के लिए जरूरी है।
जिंक और विटामिन डी थायराइड हार्मोन के संश्लेषण और इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद करते हैं। कद्दू के बीज, मशरूम, बादाम और सूरज की रोशनी जिंक और विटामिन डी के अच्छे स्रोत हैं। थायराइड के मरीजों को रोजाना मुट्ठीभर कद्दू के बीज या बादाम खाने चाहिए। सुबह 10-15 मिनट धूप में बिताने से विटामिन डी की कमी पूरी होती है। ये पोषक तत्व थायराइड से जुड़े ऑटोइम्यून विकारों, जैसे हाशिमोटो थायराइडाइटिस, को नियंत्रित करने में सहायक हैं। इन्हें सलाद, स्मूदी या नाश्ते में शामिल करें। अगर कमी गंभीर है, तो डॉक्टर की सलाह से सप्लीमेंट्स लें।
थायराइड के मरीजों को अपनी डाइट में बदलाव करने से पहले डॉक्टर या डायटीशियन से सलाह लेनी चाहिए, क्योंकि हर मरीज की स्थिति अलग होती है। गोइट्रोजेनिक खाद्य पदार्थ, जैसे गोभी, फूलगोभी और सोया, को सीमित मात्रा में और पकाकर खाएं। प्रोसेस्ड फूड, ज्यादा चीनी और कैफीन से बचें, क्योंकि ये थायराइड हार्मोन को प्रभावित करते हैं। रोजाना 2-3 लीटर पानी पिएं और तनाव कम करने के लिए योग और ध्यान करें। नियमित थायराइड टेस्ट कराएं और दवाइयां समय पर लें। आयुर्वेद में त्रिफला और अश्वगंधा जैसे हर्ब्स को थायराइड के लिए फायदेमंद माना जाता है, लेकिन इन्हें डॉक्टर की सलाह के बिना न लें।
थायराइड के मरीज आयोडीन, सेलेनियम, फाइबर, जिंक और विटामिन डी युक्त खाद्य पदार्थों को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। ये खाद्य पदार्थ थायराइड हार्मोन को संतुलित करते हैं, पाचन को बेहतर बनाते हैं और इम्यूनिटी को बूस्ट करते हैं। अपनी डाइट को समझदारी से चुनें और डॉक्टर की सलाह के साथ थायराइड को नियंत्रित करें। आज से ही इन खाद्य पदार्थों को अपनाएं और स्वस्थ, ऊर्जावान जीवन की ओर कदम बढ़ाएं!