सुप्रीम कोर्ट की बड़ी टिप्पणी: मनी लॉन्ड्रिंग में जमानत के लिए 1 साल की जेल ज़रूरी नहीं
Navyug Sandesh Hindi May 21, 2025 02:42 AM

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में जमानत पाने के लिए एक साल की हिरासत पूरी करना कोई अनिवार्य शर्त नहीं है।

यह टिप्पणी न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने 2,000 करोड़ रुपए के शराब घोटाले में गिरफ्तार कारोबारी अनवर ढेबर को ज़मानत देते हुए दी।

पीठ ने कहा,

“ऐसा कोई तय नियम नहीं है कि मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपी को जमानत से पहले एक साल जेल में रहना ही पड़े।”

🕘 9 महीने से जेल में हैं अनवर ढेबर
अनवर ढेबर को अगस्त 2024 में गिरफ्तार किया गया था और वे अब तक 9 महीने से अधिक समय जेल में बिता चुके हैं।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इस पर ज़ोर दिया कि जिस अपराध में अधिकतम सात साल की सजा है, उसमें इतनी लंबी हिरासत उचित नहीं है, खासकर जब मुकदमा शुरू होने की कोई जल्द संभावना नहीं दिख रही है।

कोर्ट ने बताया कि अब तक 40 गवाह पेश हो चुके हैं, जबकि कुल गवाह 450 से अधिक हैं। ऐसे में मुकदमा लंबा खिंच सकता है।

⚖️ ईडी ने किया जमानत का विरोध, कोर्ट ने तर्क नहीं माना
प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर से पेश वकील ने कहा कि ढेबर राजनीतिक रूप से प्रभावशाली व्यक्ति हैं और उन्हें अभी एक साल की हिरासत भी पूरी नहीं हुई है।

उन्होंने यह भी दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट ने कुछ मामलों में एक साल की कस्टडी को मानक माना है। मगर कोर्ट ने साफ किया कि

“ऐसा कोई बेंचमार्क या बाध्यकारी नियम नहीं है। हर केस की परिस्थितियाँ अलग होती हैं।”

📝 सशर्त ज़मानत, पासपोर्ट जमा करना होगा
सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत को निर्देश दिया है कि वह एक सप्ताह के भीतर अनवर ढेबर को ज़मानत पर रिहा करे, बशर्ते वे विशेष अदालत की शर्तों का पालन करें।

ढेबर को अपना पासपोर्ट जमा कराना होगा और ज़मानत की सटीक शर्तें विशेष अदालत तय करेगी।

🏛️ कांग्रेस नेता का भाई है आरोपी
अनवर ढेबर कांग्रेस नेता और रायपुर के पूर्व महापौर एजाज़ ढेबर के भाई हैं। उन्हें आयकर विभाग की चार्जशीट के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

ईडी के अनुसार, यह घोटाला साल 2019 से शुरू हुआ और इसमें कुल 2,161 करोड़ रुपए की हेराफेरी की गई।

ईडी का आरोप है कि यह पैसा राज्य सरकार के खजाने में जाना चाहिए था, लेकिन राजनेताओं, अधिकारियों और ब्यूरोक्रेट्स की मिलीभगत से इसे गबन कर लिया गया।

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