बॉलीवुड के 90 के दशक के खलनायक: भले ही हीरो की चमक-दमक हमेशा सुर्खियों में रहती हो, लेकिन विलेन जैसे अमरीश पुरी, डैनी डेन्जोंगपा, प्राण, अमजद खान और अजीत खान ने अपनी अदाकारी और खौफनाक किरदारों से दर्शकों के दिलों में एक खास जगह बनाई। इन दिग्गजों की आवाज और स्क्रीन प्रेजेंस ने सिनेमा को अविस्मरणीय बना दिया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन खलनायकों की अगली पीढ़ी आज क्या कर रही है? आइए, इनके बच्चों के करियर और जिंदगी पर एक नजर डालते हैं.
अमरीश पुरी ने 'मोगैंबो खुश हुआ' जैसे डायलॉग के साथ हिंदी सिनेमा में खलनायकी को एक नया आयाम दिया। उनका निधन 2005 में हुआ। उनके बेटे राजीव पुरी मर्चेंट नेवी में कार्यरत हैं और फिल्म इंडस्ट्री से दूर हैं। उनकी बेटी नम्रता पुरी एक डर्मेटोलॉजिस्ट हैं। हालांकि, अमरीश के पोते वर्धन पुरी ने एक्टिंग को चुना और 2019 में 'ये साली आशिकी' से डेब्यू किया। वर्धन अभी भी अपने दादा जैसी सफलता के लिए मेहनत कर रहे हैं.
डैनी डेन्जोंगपा ने 'अग्निपथ' में 'कांचा चीना' जैसे किरदार से प्रसिद्धि पाई। उनकी शादी सिक्किम की राजकुमारी गावा से हुई और उनके दो बच्चे हैं। उनका बेटा रिन्जिंग डेन्जोंगपा ने 2021 में एक्शन फिल्म 'स्क्वॉड' से बॉलीवुड में कदम रखा। उनकी बेटी पेमा डेन्जोंगपा फिल्मों से दूर हैं और युकसोम ब्रुअरीज में निदेशक के रूप में कार्यरत हैं.
प्राण, जिन्हें 'विलेन ऑफ द मिलेनियम' कहा जाता है, ने 400 से अधिक फिल्मों में अपने अभिनय से खौफ पैदा किया और हीरो से ज्यादा फीस लेने वाले पहले विलेन बने। उनका निधन 2013 में हुआ। उनके बेटे सुनील सिकंद एक फिल्म निर्देशक हैं, जिन्होंने 'फरिश्ता' और 'लक्ष्मण रेखा' जैसी फिल्में बनाई हैं। उनकी बेटी पिंकी सिकंद की शादी ज्योतिषी विवेक भल्ला से हुई है, जो बॉलीवुड से जुड़े हैं. उनका दूसरा बेटा अरविंद सिकंद लाइमलाइट से दूर रहता है.
अमजद खान ने 'शोले' में 'गब्बर सिंह' के किरदार से इतिहास रचा। उनका निधन 1992 में हुआ। उनकी पत्नी शैला खान के साथ उनके तीन बच्चे हैं। बड़े बेटे शादाब खान ने 'राजा की आएगी बारात' से डेब्यू किया, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। बाद में उन्होंने लेखन और डायरेक्शन में काम किया और 'स्कैम 1992' में छोटा रोल निभाया। छोटे बेटे सीमाब खान क्रिकेट से जुड़े रहे और कैमरे से दूर हैं। उनकी बेटी अहलम खान एक थिएटर आर्टिस्ट हैं और एक्टर जफर कराचीवाला से शादी की है.
अजीत खान ने 'सारा शहर मुझे लॉयन के नाम से जानता है' जैसे डायलॉग के साथ अपनी पहचान बनाई। उनके बेटे शहजाद खान ने भी एक्टिंग में करियर बनाया और 'अंदाज अपना अपना' जैसी फिल्मों में सहायक और हास्य किरदार निभाए। शहजाद ने 90 से अधिक फिल्मों में काम किया, लेकिन अपने पिता जैसी शोहरत नहीं पा सके। वह एक्टिंग के साथ बिजनेस भी करते हैं.