डॉ. लिखी ने एक कार्यक्रम में राज्यों से आग्रह किया कि वे नवाचार, बुनियादी ढांचे और संस्थागत तालमेल के माध्यम से मत्स्य पालन क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए सहयोगात्मक प्रयासों को मजबूत करें। मछुआरों की सुरक्षा और परिचालन दक्षता को बढ़ाने के लिए उपग्रह प्रौद्योगिकी के उपयोग पर जोर दिया गया, जिसमें संसाधन मानचित्रण और बायोमेट्रिक पहचान शामिल हैं।
स्मार्ट और एकीकृत मछली पकड़ने वाले बंदरगाहों और आधुनिक मछली बाजारों के विकास को भविष्य की प्राथमिकता के रूप में देखा गया है। उन्होंने मानक संचालन प्रक्रियाओं और सहायक सब्सिडी संरचना के माध्यम से ड्रोन पहल को मजबूत करने का आह्वान किया।
आईसीएआर संस्थानों के सहयोग से उन्नत मत्स्य पालन प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने के साथ-साथ प्रसंस्करण, विपणन और पैकेजिंग पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया गया। 'अमृत सरोवर' का लाभ उठाने पर भी जोर दिया गया और राज्यों से सक्रिय सहयोग की अपील की गई।
विशेषज्ञों ने सजावटी मत्स्य पालन, समुद्री शैवाल की खेती और कृत्रिम चट्टानों के विकास को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर भी चर्चा की। मत्स्य विभाग के संयुक्त सचिव सागर मेहरा ने अंतर्देशीय राज्यों में प्रमुख मुद्दों पर प्रकाश डाला और राज्यों से राष्ट्रीय मत्स्य विकास पोर्टल पर पंजीकरण बढ़ाने का आग्रह किया।
उर्वरक विभाग की संयुक्त सचिव नीतू कुमारी प्रसाद ने मजबूत बुनियादी ढांचे और प्रजातियों के विविधीकरण के विकास के महत्व पर जोर दिया। यह बैठक विभिन्न हितधारकों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने और योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में कार्य करती है।