फरीदाबाद के किसान प्रकाश की तोरी खेती से बदली किस्मत
newzfatafat May 29, 2025 10:42 PM
तोरी की खेती: प्रकाश की प्रेरणादायक कहानी

फरीदाबाद जिले के ऊंचा गांव के किसान प्रकाश ने तोरी की खेती के माध्यम से अपनी जिंदगी में सकारात्मक बदलाव लाया है। पहले आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहे प्रकाश अब खेती से अच्छे मुनाफे कमा रहे हैं।


प्रकाश पिछले आठ वर्षों से कृषि में सक्रिय हैं और उनका मानना है कि सही समय पर बुवाई और मंडी में उचित दाम मिलने से किसान अपनी किस्मत को बदल सकते हैं। उन्होंने सुनपेड़ गांव में पट्टे पर जमीन लेकर तोरी और अन्य सब्जियों की खेती शुरू की। आइए, उनकी प्रेरणादायक यात्रा के बारे में जानते हैं!


पट्टे की जमीन पर खेती की शुरुआत

प्रकाश ने अपनी मेहनत और समर्पण से खेती को एक नई दिशा दी है। उन्होंने 3 बीघा जमीन 27,000 रुपये सालाना किराए पर ली है, जिसमें से डेढ़ बीघा पर तोरी की खेती की जा रही है, जबकि शेष भूमि पर अन्य सब्जियां उगाई जा रही हैं।


प्रकाश का कहना है कि तोरी की फसल में मेहनत तो लगती है, लेकिन मुनाफा भी उतना ही अच्छा मिलता है। उनकी मेहनत और सही योजना ने उन्हें फरीदाबाद के किसानों के लिए एक प्रेरणा बना दिया है।


खेत की तैयारी का विशेष तरीका

तोरी की खेती के लिए खेत की तैयारी अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रकाश के अनुसार, पहले खेत को हल से जुताई की जाती है, फिर कल्टीवेटर से इसे और बेहतर किया जाता है।


इसके बाद मेड़ और डोल बनाए जाते हैं। बीज बोते समय 1 से 2 फीट की दूरी रखी जाती है, ताकि पौधे अच्छे से बढ़ सकें। यह तरीका न केवल फसल की गुणवत्ता को बढ़ाता है, बल्कि पैदावार को भी बेहतर करता है। प्रकाश की यह तकनीक नए किसानों के लिए सीखने योग्य है।


खर्च और मुनाफे का विश्लेषण

अच्छी फसल के लिए खेत में 3 से 4 बार जुताई आवश्यक होती है। प्रकाश ने डेढ़ बीघा में तोरी की खेती के लिए 6 पैकेट बीज खरीदे, जिनकी कीमत 230 रुपये प्रति पैकेट थी।


इस प्रकार बीजों पर लगभग 6,000 रुपये खर्च हुए। इसके अलावा, खाद, सिंचाई और श्रम का खर्च भी शामिल होता है। वर्तमान में मंडी में तोरी 50 रुपये प्रति किलो बिक रही है, जिससे प्रकाश को शानदार मुनाफा हो रहा है। यह उनकी मेहनत का सुखद परिणाम है।


समय का महत्व और भविष्य की योजनाएं

प्रकाश का कहना है कि समय पर बुवाई करने वाले किसानों को मंडी में बेहतर दाम मिलते हैं। यदि बुवाई में देरी होती है, तो कीमत 5 से 6 रुपये प्रति किलो तक गिर जाती है, जिससे लागत निकालना भी मुश्किल हो जाता है। तोरी की फसल 3 महीने में तैयार हो जाती है और अक्टूबर तक चलती है।


इसके बाद प्रकाश मौसम के अनुसार दूसरी सब्जियों की खेती शुरू करते हैं। उनकी यह मेहनत और समझदारी अन्य किसानों के लिए प्रेरणा है, जो खेती के माध्यम से अपनी जिंदगी में बदलाव लाना चाहते हैं।


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