भारतीय पौराणिक कथाओं में कई ऐसे रहस्य छिपे हुए हैं जो समय के साथ धुंधले हो गए हैं, लेकिन उनकी महत्ता कभी कम नहीं हुई। इनमें से एक अद्भुत कथा महाभारत युद्ध से जुड़ी है, जिसमें भगवान कृष्ण को एक पुरुष से विवाह करने की आवश्यकता पड़ी। इस कारण उन्हें 'किन्नर का पति' भी कहा जाता है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि भगवान कृष्ण को अर्जुन के पुत्र इरावन से विवाह करने की आवश्यकता क्यों पड़ी और इसके पीछे का रहस्य क्या है।
महाभारत युद्ध के दौरान पांडवों को माता काली की सहायता की आवश्यकता थी। युद्ध में विजय पाने के लिए माता काली ने एक प्रभावशाली राजकुमार की बलि देने की शर्त रखी। अर्जुन के पुत्र इरावन ने इस बलि को स्वीकार किया, लेकिन उनकी एक अंतिम इच्छा थी कि वे विवाह कर एक बार वैवाहिक जीवन का अनुभव करना चाहते थे।
हालांकि, यह इच्छा पूरी करना आसान नहीं था। कोई भी महिला उस विवाह को स्वीकार नहीं करती थी जिसमें पति की मृत्यु शादी के अगले दिन हो जाए। इस स्थिति में भगवान कृष्ण ने मोहिनी का रूप धारण किया और इरावन से विवाह किया। यह विवाह महाभारत युद्ध के दौरान हुआ, और अगले ही दिन इरावन ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। भगवान कृष्ण के मोहिनी रूप में विवाह करने के कारण उन्हें 'किन्नर का पति' कहा जाता है।
इरावन, अर्जुन और नागकन्या उलूपी के पुत्र थे। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, उन्होंने महाभारत के युद्ध में कई महत्वपूर्ण योद्धाओं को हराया, जैसे शकुनि के भाई, गज, ऋषभ, विंद और भूरिश्रवा के पुत्र। युद्ध के आठवें दिन इरावन ने वीरगति प्राप्त की। उस दिन भगवान कृष्ण ने खुद को विधवा मानकर पूरे दिन उनके लिए विलाप किया। यह विलाप कृष्ण की भक्ति और प्रेम का प्रतीक था।
तमिलनाडु के विल्लुपुरम जिले के कूवगम गांव में एक अनूठा त्योहार मनाया जाता है, जो खास तौर पर किन्नर समुदाय से जुड़ा है। इस 18 दिनों तक चलने वाले 'कूवगम महोत्सव' में इरावन की पूजा की जाती है। कूथंडावर मंदिर में इरावन की मूर्ति को पूरे एक दिन के लिए साक्षात इरावन का रूप माना जाता है। इस दौरान किन्नर समुदाय के लोग इरावन से विवाह करते हैं और अगले दिन विधवा की भांति विलाप करते हैं। मंदिर के पुजारी इस विवाह की रस्म संपन्न कराते हैं और मंगलसूत्र पहनाते हैं। इसके बाद, किन्नर इरावन के सिर की मूर्ति लेकर नगर भ्रमण करते हुए उनकी स्मृति में विलाप करते हैं।
भगवान कृष्ण का मोहिनी रूप धारण कर इरावन से विवाह करने का प्रसंग भारतीय पौराणिक कथाओं में मानवता, बलिदान और भक्ति की एक अद्भुत मिसाल है। यह कथा न केवल महाभारत की ऐतिहासिकता को दर्शाती है, बल्कि सामाजिक समरसता और विविधता की भी सीख देती है। कृष्ण-इरावन विवाह की यह अनूठी कथा आज भी तमिलनाडु के कूवगम गांव में जीवित है, जहां यह महोत्सव किन्नर समुदाय के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है और लोगों को पौराणिक इतिहास से जोड़ता है। यदि आप इस रहस्यमयी कथा के बारे में और जानना चाहते हैं, तो हमारे वीडियो जरूर देखें, जिसमें इस पौराणिक प्रसंग को विस्तार से समझाया गया है।