सेक्शुअल हेल्थ (यौन स्वास्थ्य) आज भी हमारे समाज में एक ऐसा विषय है, जिस पर खुलकर बात करना आसान नहीं होता। महिलाओं के लिए यह विषय और भी ज्यादा संवेदनशील बन जाता है क्योंकि वे अपनी सेक्शुअल डिज़ायर (यौन इच्छा), ज़रूरतें और समस्याएं खुलकर व्यक्त नहीं कर पातीं। इसका एक बड़ा कारण है सामाजिक वर्जनाएं और जजमेंट का डर। लेकिन यह जरूरी है कि हर महिला अपनी सेक्शुअल हेल्थ के बारे में पूरी और सही जानकारी रखे, क्योंकि इससे न केवल उसकी फिजिकल हेल्थ बेहतर होती है, बल्कि मानसिक संतुलन और रिलेशनशिप क्वालिटी भी प्रभावित होती है।
हमारे समाज में सेक्शुअल लाइफ (यौन जीवन) को लेकर अब भी बहुत से मिथ और शर्म जुड़ी हुई है। महिलाएं अगर अपनी ज़रूरतों को जाहिर करें या किसी समस्या को लेकर डॉक्टर से सलाह लें, तो उन्हें जज किया जाता है। ऐसे में कई बार वे परेशानियों को अनदेखा कर देती हैं। यह चुप्पी ही आगे चलकर बड़ी समस्याओं को जन्म देती है जैसे लो लिबिडो, वेजाइनल इंफेक्शन, पेल्विक पेन और यहां तक कि रिश्तों में दूरी।
गायनेकोलॉजिस्ट और ऑब्स्टिट्रिशन डॉक्टर अदिति बेदी के अनुसार, महिलाओं को अपनी सेक्शुअल हेल्थ को लेकर उतनी ही सजग रहने की जरूरत है, जितनी वे अपनी सामान्य हेल्थ के लिए होती हैं। हर महिला को कुछ महत्वपूर्ण बातें जरूर जाननी चाहिए, ताकि वो न केवल एक हेल्दी रिलेशनशिप जी सके, बल्कि मानसिक रूप से भी संतुलित रह सके।
महिलाओं में यह धारणा बिठा दी जाती है कि सेक्शुअल डिजायर केवल पुरुषों के लिए सामान्य है, जबकि ऐसा नहीं है। हर महिला की अपनी सेक्शुअल डिजायर होती है और यह पूरी तरह नेचुरल है। किसी भी उम्र में, शादीशुदा या सिंगल स्टेटस में भी सेक्शुअल डिजायर का अनुभव होना गलत नहीं है। यह आपके हार्मोनल बैलेंस, भावनात्मक जुड़ाव और मानसिक स्थिति से भी जुड़ा होता है।
जब महिला फिजिकल इंटिमेसी में शामिल होती है, तो उसके शरीर में ऑक्सिटोसिन, डोपामिन और एंडॉर्फिन जैसे ‘हैप्पी हार्मोन्स’ रिलीज़ होते हैं। ये हार्मोन्स न केवल मूड को बेहतर करते हैं, बल्कि शरीर के तनाव को भी कम करते हैं। यह बात पुरुषों जितनी ही महिलाओं के लिए भी सच है। इसलिए, इंटिमेसी सिर्फ शारीरिक ही नहीं, मानसिक और भावनात्मक संतुलन के लिए भी आवश्यक है।
अक्सर महिलाएं यह मान लेती हैं कि यदि उनकी प्रजनन प्रणाली ठीक है, तो उनकी सेक्शुअल हेल्थ भी ठीक है। जबकि ऐसा नहीं है। सेक्शुअल हेल्थ का मतलब केवल गर्भधारण या पीरियड्स से जुड़ी समस्याओं से नहीं है, बल्कि इसमें यौन सुख, सुरक्षा, पार्टनर के साथ संवाद और खुद के शरीर को समझना भी शामिल है।
डॉक्टर अदिति कहती हैं कि अगर महिलाएं अपने पार्टनर के साथ खुलकर अपनी भावनाएं, जरूरतें और समस्याएं साझा करें, तो सेक्शुअल रिलेशनशिप और भी बेहतर हो सकता है। रिश्तों में संवाद की भूमिका बेहद अहम होती है। यह केवल शारीरिक संतुष्टि के लिए नहीं, बल्कि विश्वास और इमोशनल बॉन्डिंग के लिए भी जरूरी है।
यदि सेक्शुअल हेल्थ से जुड़ी किसी भी तरह की समस्या हो रही हो — जैसे वेजाइनल ड्रायनेस, लो सेक्स ड्राइव, दर्द, खुजली या असामान्य डिस्चार्ज — तो बिना देरी के डॉक्टर से सलाह लें। यह जरूरी नहीं कि हर समस्या बड़ी हो, लेकिन समय पर जांच और इलाज से आप बड़ी परेशानियों से बच सकती हैं।
आज की मॉडर्न लाइफस्टाइल, स्ट्रेस, हार्मोनल बदलाव और सोशल एक्सपेक्टेशन के बीच महिलाओं की सेक्शुअल हेल्थ पर गहरा असर पड़ता है। सेक्शुअल अवेयरनेस से न सिर्फ वे अपनी जरूरतों को समझ सकती हैं, बल्कि एक संतुलित और खुशहाल जीवन जी सकती हैं। सेक्शुअल हेल्थ को लेकर जानकारी और जागरूकता, महिला सशक्तिकरण का अहम हिस्सा है।