हिंदी में लड़कियों के लिए पहली पीरियड गाइड: जब लड़कियों को पहली बार पीरियड्स (अवधि) होते हैं, तो यह उनके जीवन का एक अहम मोड़ होता है। इस दौरान न केवल उनके शरीर में बदलाव आते हैं, बल्कि उनके मन में कई सवाल भी उठते हैं। क्या पीरियड्स में दर्द होना सामान्य है? कितनी बार पैड बदलना चाहिए? क्या खेल-कूद कर सकते हैं? ऐसे कई सवालों के जवाब जानने के लिए हमने बात की फरीदाबाद स्थित सर्वोदय अस्पताल (सरवोदय अस्पताल, फरीदाबाद) की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. निधि शर्मा से। डॉ. निधि ने विस्तार से बताया कि पहली बार पीरियड्स आने पर लड़कियों को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
डॉ. निधि बताती हैं कि आमतौर पर 10 से 15 साल की उम्र के बीच किसी भी समय पीरियड्स शुरू हो सकते हैं। इस प्रक्रिया को मेडिकल भाषा में मेनार्क (मेनार्चे) कहा जाता है। हालांकि आज के समय में जेनेटिक फैक्टर्स, मोटापा, जंक फूड और कम शारीरिक गतिविधियों के कारण यह उम्र 7 से 8 साल तक भी देखी जा रही है। इसे मेडिकल टर्म में प्रिकॉशियस प्यूबर्टी (पूर्व -यौवन) कहा जाता है।
पीरियड्स शुरू होने से कुछ महीने पहले लड़कियों के शरीर और व्यवहार में कुछ खास बदलाव दिखने लगते हैं। इनमें स्तनों का विकास, प्यूबिक और अंडरआर्म हेयर आना, लंबाई व वजन का बढ़ना, मूड स्विंग्स, पेट में हल्की मरोड़ और थकावट शामिल हैं। इस दौरान चिड़चिड़ापन और पाचन संबंधी समस्याएं भी देखी जाती हैं।
डॉ. निधि कहती हैं कि पहले पीरियड से ही स्वच्छता (Hygiene) की जानकारी देना बेहद जरूरी है। लड़कियों को दिन में हर 4 से 6 घंटे में पैड बदलना चाहिए, भले ही ब्लीडिंग कम हो। यदि रक्तस्राव अधिक हो तो इसे और जल्दी बदलना चाहिए ताकि संक्रमण, बदबू और कपड़ों पर दाग जैसी समस्याओं से बचा जा सके।
पहले पीरियड्स में आमतौर पर 3 से 7 दिन तक रक्तस्राव होता है। हालांकि यह सभी लड़कियों में समान नहीं होता। कुछ मामलों में यह एक या दो दिन ही चलता है, जबकि कुछ में थोड़ा अधिक। अगर ब्लीडिंग 7 दिन से ज्यादा हो या बहुत ज्यादा हो तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।
गंदे पैड्स या पुराने कपड़े का प्रयोग नहीं करना चाहिए। मसालेदार और जंक फूड से दूरी बनाए रखें क्योंकि ये ब्लोटिंग और पेट दर्द बढ़ा सकते हैं। साथ ही समय पर नींद लें और शरीर को आराम दें। स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें ताकि किसी भी प्रकार के इंफेक्शन से बचा जा सके।
शुरुआत के 1 से 2 साल तक पीरियड्स अनियमित हो सकते हैं। कभी 28 दिन के चक्र पर, तो कभी 2 महीने के अंतर पर भी आ सकते हैं। यह बिलकुल सामान्य है। लेकिन अगर बार-बार अनियमितता बनी रहती है तो डॉक्टर से जांच करवाना चाहिए।
डॉ. निधि बताती हैं कि हां, अधिकतर लड़कियों को पहले पीरियड्स में हल्का या तेज पेट दर्द हो सकता है, जिसे क्रैम्प्स (Cramps) कहा जाता है। यह पूरी तरह सामान्य है। गर्म पानी की थैली से सेंक देने से राहत मिल सकती है। जरूरत पड़ने पर हल्की दवा ली जा सकती है, लेकिन बिना डॉक्टर की सलाह के दवा लेना सही नहीं है।
डॉ. निधि कहती हैं कि यह एक आम मिथक है कि पीरियड्स के दौरान खेल या एक्सरसाइज नहीं करनी चाहिए। बल्कि हल्की फिजिकल एक्टिविटी जैसे वॉकिंग, योग या हल्का व्यायाम दर्द को कम कर सकता है और शरीर को आराम भी देता है। इस दौरान आरामदायक कपड़े पहनें और पैड का ठीक से इस्तेमाल करें।
हालांकि यह सामान्य नहीं है, लेकिन कुछ विशेष मामलों में 7 साल की उम्र में भी पीरियड्स शुरू हो सकते हैं। इसे प्रिकॉशियस प्यूबर्टी कहते हैं। यदि इतनी कम उम्र में पीरियड्स शुरू हो जाएं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए क्योंकि यह हार्मोनल असंतुलन का संकेत हो सकता है।
डॉ. निधि का मानना है कि मां की भूमिका इस समय सबसे अहम होती है। बेटियों को यह समझाना जरूरी है कि पीरियड्स एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और इसमें शर्माने की कोई बात नहीं है। उन्हें यह सिखाएं कि पैड कैसे लगाना है, साफ-सफाई कैसे रखनी है और किस स्थिति में डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। सबसे जरूरी बात यह है कि बेटियां खुलकर मां से अपने सवाल पूछ सकें।