विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) फिर से भारत में निवेश बढ़ा सकते हैं। एंजेल वन की आयनिक वेल्थ की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, एफआईआई भारतीय शेयर बाजार में अपने पोर्टफोलियो को मजबूत कर रहे हैं, खासकर मिडकैप और स्मॉलकैप कंपनियों पर फोकस बढ़ा रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल के दिनों में भारत में एफआईआई का निवेश कम हुआ है।
भारतीय इक्विटी में उनकी हिस्सेदारी 18.8% है, जो उभरते बाजारों (चीन को छोड़कर) में 30% से भी कम है। इसकी तुलना में ताइवान में 41.6%, ब्राजील में 58.2% और जापान में 31.8% है। हालांकि, भारत की मजबूत आय वृद्धि, उचित मूल्यांकन और अनुकूल मैक्रोइकॉनोमिक स्थितियां फिर से एफआईआई को आकर्षित कर सकती हैं।
निफ्टी और लार्जकैप में बदलावनिफ्टी कंपनियों में एफआईआई का निवेश रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। साल 2001 में उनका निफ्टी कंपनियों में 20% निवेश था, जो अब बढ़कर 80% हो गया है। दूसरी ओर, लार्जकैप कंपनियों में उनका निवेश 2015 के 80% से घटकर अब 76.8% रह गया है। एफआईआई अब मिडकैप और स्मॉलकैप कंपनियों की ओर अधिक रुख कर रहे हैं।
रुपये के अवमूल्यन का प्रभावरिपोर्ट में कहा गया है कि एफआईआई का निवेश कंपनी के मौलिक प्रदर्शन से अधिक डॉलर-रुपये की विनिमय दर पर निर्भर करता है। रुपये के अवमूल्यन पर एफआईआई अल्पकालिक बिक्री बढ़ाते हैं। फिर भी, भारत की मजबूत आर्थिक स्थिति और आय वृद्धि निवेशकों को आकर्षित कर रही है।
FIIs: कहां विदेशी निवेशकों को भरोसा?
कुल मिलाकर, भारत की मजबूत आर्थिक वृद्धि और उचित मूल्यांकन एफआईआई को भारत में वापस आकर्षित कर सकते हैं। मिडकैप और स्मॉलकैप में निवेश में वृद्धि इस बात का संकेत है कि विदेशी निवेशक भारत में दीर्घकालिक अवसरों की तलाश कर रहे हैं। हालांकि, रुपये की स्थिरता और वैश्विक आर्थिक स्थितियां इस निवेश को प्रभावित कर सकती हैं।