निर्जला एकादशी: महत्व, नियम और मंत्र
newzfatafat June 05, 2025 03:42 AM
निर्जला एकादशी का महत्व

हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है, जो भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग मिलता है। साल में कुल 24 एकादशी आती हैं, जिनमें से एक विशेष एकादशी है जिसे निर्जला एकादशी कहा जाता है। इसका महत्व इतना अधिक है कि इसे सभी 24 एकादशी व्रतों के समान फलदायक माना जाता है।


निर्जला एकादशी के नियम निर्जला एकादशी के नियम
  • जल व्रत: इस दिन व्रती को 24 घंटे तक जल का सेवन नहीं करना चाहिए। यदि कोई जल पी लेता है, तो व्रत टूट जाता है।

  • अनाज और फलाहार वर्जित: इस दिन फल, अनाज, जूस या कोई भी भोजन नहीं करना चाहिए।

  • शुद्धि और संयम: व्रत के दौरान व्यक्ति को मन और शरीर को शुद्ध रखना आवश्यक है।

  • पूजा और भक्ति: व्रती भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और उनसे आशीर्वाद मांगते हैं।

  • संध्या और सुबह मंत्र जाप: व्रत के साथ-साथ सुबह और शाम भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करना अनिवार्य है।


शक्तिशाली मंत्र निर्जला एकादशी व्रत के दौरान जाप किए जाने वाले शक्तिशाली मंत्र

यदि आप निर्जला एकादशी का व्रत पूरी तरह नहीं रख पा रहे हैं, तो आप भगवान विष्णु के निम्नलिखित मंत्रों का जाप सुबह-शाम कर सकते हैं। इससे व्रत का आध्यात्मिक फल प्राप्त होता है।

  • श्री विष्णु मंत्र
    ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
    यह मंत्र भगवान विष्णु की सुरक्षा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए है।

  • गोपाल मंत्र
    ॐ गोपालाय नमः
    यह मंत्र भगवान कृष्ण के लिए है, जो जीवन में खुशहाली लाता है।

  • दशावतार मंत्र
    ॐ दासावताराय नमः
    यह मंत्र व्यक्ति को नकारात्मक शक्तियों से बचाता है।

  • विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र
    इसका पाठ विशेष रूप से एकादशी व्रत के दौरान किया जाता है।


  • निर्जला एकादशी की विशेषता निर्जला एकादशी क्यों विशेष?

    निर्जला एकादशी का व्रत बिना जल के रखा जाता है, जो इसे कठिन बनाता है। इसे ‘सर्वश्रेष्ठ एकादशी’ भी कहा जाता है। यह व्रत आत्म-नियंत्रण और तपस्या का प्रतीक है। इस दिन किया गया व्रत व्यक्ति के जीवन में सुख और समृद्धि लाता है।


    निष्कर्ष निष्कर्ष

    निर्जला एकादशी व्रत धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है और यह मानसिक और शारीरिक शुद्धि का माध्यम है। व्रत के नियमों का पालन करते हुए भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करने से मन को शांति मिलती है। यदि आप इस व्रत को पूरी तरह से नहीं रख पा रहे हैं, तो भगवान विष्णु के मंत्रों का नियमित जप करें। इससे आपको व्रत का आध्यात्मिक फल प्राप्त होगा।

    ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।
    श्री विष्णु भगवान की कृपा आप पर सदैव बनी रहे।


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