पाकिस्तान की सेना आतंकवाद पर नियंत्रण पाने में बार-बार असफल साबित हो रही है, लेकिन इसके लिए वह अपनी कमियों को स्वीकार करने के बजाय भारत और तालिबान पर दोषारोपण करती रही है। खासकर उत्तरी वजीरिस्तान में, जहां आतंकवाद का दंश स्थानीय लोगों के लिए अब और भी भयावह हो गया है। सेना ने इस क्षेत्र में कठोर कर्फ्यू लागू कर दिया है, जिससे आम नागरिकों का जीवन पूरी तरह ठप हो गया है। खास तौर पर ईद-उल-अज़हा जैसे महत्वपूर्ण पर्व से ठीक पहले लगाए गए इस कर्फ्यू ने स्थानीय लोगों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। आइए, इस स्थिति का गहराई से विश्लेषण करें और समझें कि आखिर क्यों पाकिस्तान की अपनी नीतियां अब उसके ही खिलाफ जा रही हैं।
उत्तरी वजीरिस्तान में आतंकवाद की जड़ेंउत्तरी वजीरिस्तान, जो अफगानिस्तान की सीमा से सटा हुआ है, लंबे समय से आतंकवाद का गढ़ रहा है। पाकिस्तानी सेना ने आतंकवादियों के खिलाफ कई अभियान चलाए, लेकिन नतीजे हमेशा निराशाजनक रहे। इसके बावजूद, सेना ने अपनी रणनीति में बदलाव करने के बजाय बाहरी ताकतों को दोष देना जारी रखा। विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान की नीतियों ने ही आतंकवाद को बढ़ावा दिया है, और अब वही आतंकी संगठन, जिन्हें कभी समर्थन दिया गया, अब बेकाबू हो चुके हैं। इस क्षेत्र में आतंकवादियों और स्थानीय लोगों के बीच बढ़ते तनाव ने स्थिति को और जटिल बना दिया है।
कर्फ्यू ने बढ़ाई जनता की मुश्किलेंहाल ही में, मंगलवार को उत्तरी वजीरिस्तान में पाकिस्तानी सेना ने कठोर कर्फ्यू लागू किया, जिसने अफगान सीमा के पास इस अशांत क्षेत्र में जनजीवन को पूरी तरह से प्रभावित कर दिया। इस कर्फ्यू के तहत शहरों के भीतर और उनके बीच आवाजाही पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह कर्फ्यू न केवल उनकी रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित कर रहा है, बल्कि ईद-उल-अज़हा की तैयारियों को भी बाधित कर रहा है। सड़कों पर नाकेबंदी और सैन्य चौकियों ने लोगों के लिए बाजारों तक पहुंचना तक मुश्किल कर दिया है।
मेडिकल आपातकाल में भी कोई राहत नहींसबसे चिंताजनक बात यह है कि इस कर्फ्यू के दौरान मेडिकल आपातकाल में भी लोगों को सैन्य चौकियों से गुजरने की अनुमति नहीं दी जा रही है। स्थानीय निवासियों और नागरिक समाज के कार्यकर्ताओं ने इसे अमानवीय कदम बताया है। कई मरीज और उनके परिवार चेकपॉइंट्स पर फंसे हुए हैं, जिससे उनकी स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच पूरी तरह बंद हो गई है। एक स्थानीय निवासी ने बताया, "हमारे मरीजों को अस्पताल ले जाना असंभव हो गया है। यह कर्फ्यू हमें जीने नहीं दे रहा।" इस स्थिति ने लोगों में गुस्सा और निराशा को और बढ़ा दिया है।
पाकिस्तान की नीतियों का उल्टा असरपाकिस्तान की सेना और सरकार की नीतियां अब उनके ही लिए मुसीबत बन रही हैं। एक ओर आतंकवाद को नियंत्रित करने में असफलता, दूसरी ओर आम नागरिकों पर कठोर प्रतिबंध—यह स्थिति न केवल स्थानीय लोगों के लिए दुखद है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पाकिस्तान की छवि को नुकसान पहुंचा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक पाकिस्तान अपनी नीतियों में सुधार नहीं करता और आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम नहीं उठाता, तब तक ऐसी समस्याएं बनी रहेंगी।