देश में मां गंगा के अनेक मंदिर हैं, लेकिन भरतपुर में स्थित गंगा मैया के मंदिर की अपनी एक अलग पहचान है। इस विशाल और भव्य मंदिर में प्रतिदिन गंगा मैया का गंगा जल से अभिषेक किया जाता है और भक्तों को प्रसादी के रूप में गंगा जल भी वितरित किया जाता है। मंदिर में वर्ष भर 15 हजार लीटर गंगा जल से अभिषेक किया जाता है और प्रसाद वितरित किया जाता है। करीब 90 साल में बनकर तैयार हुए मंदिर की नक्काशी, स्थापत्य और भव्यता अद्भुत है।
गंगा मैया ने सुनी राजा की पुकार
लेखक रामवीर वर्मा बताते हैं कि भरतपुर राज्य के महाराजा बलवंत सिंह को कोई संतान नहीं थी। राजपुरोहित ने उन्हें हर की पौड़ी जाकर संतान प्राप्ति के लिए गंगा मैया से प्रार्थना करने की सलाह दी। बलवंत सिंह हर की पौड़ी गए और गंगा मैया से पुत्र प्राप्ति के लिए प्रार्थना की। कुछ समय बाद महाराजा बलवंत सिंह को महाराजा जसवंत सिंह के रूप में पुत्र की प्राप्ति हुई। पुत्र प्राप्ति के बाद महाराजा बलवंत सिंह ने वर्ष 1845 में भरतपुर में गंगा मां के मंदिर के निर्माण की नींव रखी। बंसी पहाड़पुर से पत्थरों का उपयोग करके मंदिर निर्माण के लिए कुशल कारीगरों और शिल्पकारों को बुलाया गया।
84 खंभों पर टिका है मंदिर भवन
लेखक वर्मा ने बताया कि दो मंजिला गंगा मंदिर भवन 84 खंभों पर टिका है। मंदिर का अगला भाग मुगल शैली में और पिछला भाग बौद्ध शैली में बना है। छतों पर लगे फूल पत्ते, खंभों की समतलता और मंदिर में मेहराबों की नक्काशी आकर्षक है। ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मां गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थीं। इसीलिए गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाता है।
1937 में हुई थी प्राण प्रतिष्ठा
महाराजा बलवंत सिंह के बाद भी 4 पीढ़ियों तक मंदिर का निर्माण चलता रहा। इस तरह मंदिर का निर्माण 90 साल में पूरा हुआ। सवाई बृजेन्द्र सिंह ने 22 फरवरी 1937 को मंदिर में मां गंगा की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करवाई थी। मूर्ति का निर्माण मुस्लिम मूर्तिकार ने करवाया था। जब मूर्ति को सजाया जाता है तो कानों में बालियां और नाक में मोम की सहायता से नथ डाली जाती है।
मुख्यमंत्री आज भरतपुर आएंगे
भरतपुर। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा अपने एक दिवसीय भरतपुर दौरे पर गंगा दशहरा के पावन अवसर पर भरतपुर के ऐतिहासिक मंदिर में दर्शन कर पूजा-अर्चना करेंगे। इसके बाद वे महाआरती में भाग लेंगे। जिला कलेक्टर डॉ. अमित यादव ने बताया कि मुख्यमंत्री शाम पांच बजे हेलीकॉप्टर से भरतपुर आएंगे। वे ऐतिहासिक गंगा मंदिर में पूजा-अर्चना करेंगे और महाआरती में भाग लेंगे। वे सुजान गंगा नहर के तट पर दीपदान में भाग लेंगे।