सीमा पार आतंकवाद और सुरक्षा चुनौतियों से स्थायी मुक्ति के लिए भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ जल प्रहार की एक लंबी रणनीति तैयार की है। सिंधु जल समझौते को स्थगित करने के बाद अब भारत ने पाकिस्तान को पानी की किल्लत में धकेलने की योजना बनाई है। इस योजना के तहत भारत सिंधु, सतलज और ब्यास नदियों के जल संसाधनों का उपयोग अपने सीमित क्षेत्र में करेगा और पाकिस्तान को पानी की आपूर्ति घटा देगा।
प्रमुख परियोजना विवरण:रावी और ब्यास नदियों के पानी को सिंधु नदी से जोड़कर सतलज नदी के माध्यम से पंजाब के हरिके बैराज तक ले जाया जाएगा।
लगभग 200 किलोमीटर लंबी नहर परियोजना में 12 बड़ी सुरंगों का निर्माण शामिल है।
इस पानी को इंदिरा गांधी नहर, गंगा नहर समेत अन्य नहरों से जोड़कर यमुना नदी तक पहुंचाया जाएगा।
इस योजना के पूरा होने में 2 से 3 साल का समय लगेगा। इससे यमुना नदी को नया जीवन मिलेगा।
पाकिस्तान ने सिंधु जल समझौते को बहाल करने के लिए भारत को चौथा पत्र भेजा है, लेकिन भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद और व्यापार साथ नहीं चल सकते। भारत ने पाकिस्तान पर समझौते की शर्तों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है और इसे स्वीकार नहीं किया है।
योजना का उद्देश्य और प्रभावइस रणनीति का उद्देश्य पाकिस्तान को पानी की कमी से गंभीर रूप से प्रभावित करना है, ताकि वह सीमा पार आतंकवाद और अन्य गतिविधियों से बाज आए। भारत की यह चाल क्षेत्रीय जल संसाधनों पर नियंत्रण मजबूत करने और अपनी सुरक्षा को सुदृढ़ करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
निष्कर्ष:
जल संसाधन अब क्षेत्रीय सुरक्षा और कूटनीति में एक अहम हथियार बन गए हैं। भारत की यह रणनीति पाकिस्तान को दबाव में लाने और सीमा पार आतंकवाद को रोकने के लिए निर्णायक साबित हो सकती है।