पहलगाम आतंकी हमले पर बिलावल ने भारत के खिलाफ उगला जहर, UN में पत्रकार ने कर दी बोलती बंद
Samachar Nama Hindi June 07, 2025 03:42 PM

पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी इन दिनों अमेरिका के दौरे पर हैं, लेकिन उनका यह दौरा सुर्खियों में गलत वजहों से बना हुआ है। अमेरिकी सांसद ब्रैड शेरमैन ने बिलावल और उनके डेलिगेशन को स्पष्ट शब्दों में आड़े हाथों लेते हुए आतंकवाद के खिलाफ ठोस कार्रवाई की मांग की है, खासकर जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों पर। ब्रैड शेरमैन ने 2002 में मारे गए अमेरिकी पत्रकार डैनियल पर्ल का जिक्र करते हुए कहा कि उनकी हत्या में शामिल आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद अब भी पाकिस्तान में सक्रिय है और उस पर कार्रवाई होनी जरूरी है।

सख्त संदेश: आतंक के खिलाफ हो एक्शन

ब्रैड शेरमैन ने अपने आधिकारिक एक्स (Twitter) अकाउंट पर पोस्ट करते हुए लिखा: "मैंने पाकिस्तान के डेलिगेशन को बताया कि आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई क्यों जरूरी है, खासकर जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ, जिसने मेरे निर्वाचन क्षेत्र के पत्रकार डैनियल पर्ल की हत्या की थी।" शेरमैन ने आगे कहा कि पाकिस्तान को ऐसे आतंकी संगठनों को पूरी तरह खत्म करने के लिए गंभीर और निर्णायक कदम उठाने होंगे।

धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर भी चिंता

अमेरिकी सांसद ने पाकिस्तान में ईसाई, हिंदू और अहमदी समुदायों के साथ होने वाले भेदभाव और हिंसा पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा: "इन समुदायों को अपनी आस्था का पालन बिना डर के करने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में पूरी स्वतंत्रता से भाग लेने का अधिकार मिलना चाहिए।"

डॉ. शकील अफरीदी की रिहाई की मांग

ब्रैड शेरमैन ने डॉ. शकील अफरीदी की रिहाई की भी मांग की, जिन्हें ओसामा बिन लादेन का पता लगाने में अमेरिका की मदद करने के आरोप में पाकिस्तान ने 33 साल की सजा दी है। शेरमैन ने कहा: "डॉ. अफरीदी की रिहाई 9/11 के पीड़ितों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।"

कश्मीर मुद्दे पर बिलावल को झटका

बिलावल भुट्टो जरदारी ने अपने दौरे में कश्मीर मुद्दे को उठाने की कोशिश की, लेकिन उन्हें किसी भी अमेरिकी प्रतिनिधि या संगठन का समर्थन नहीं मिला। वहीं, उसी समय भारत की ओर से शशि थरूर के नेतृत्व में एक डेलिगेशन अमेरिका में मौजूद था, जो हाल ही में हुए 'ऑपरेशन सिंदूर' और पहलगाम आतंकी हमले पर अमेरिकी अधिकारियों को भारत की आतंकवाद विरोधी नीति की जानकारी दे रहा था। ऐसे में बिलावल की कश्मीर पर रणनीति विफल होती दिखी और अमेरिकी नेता उनकी जगह पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क पर फोकस करने को कहते दिखे।

निष्कर्ष: अमेरिका में अलग-थलग पड़ा पाकिस्तान

बिलावल भुट्टो का अमेरिका दौरा पाकिस्तान के लिए एक कूटनीतिक झटका बनकर सामने आया है। न तो उन्हें कश्मीर पर समर्थन मिला, और न ही उनकी सरकार की आतंकवाद के प्रति कथित नरमी को नजरअंदाज किया गया। उल्टा, पाकिस्तान को एक बार फिर वैश्विक मंच पर आतंक के पनाहगाह के रूप में देखा गया, जिसे अमेरिकी सांसद ने खुलकर उठाया। अब देखना होगा कि क्या पाकिस्तान अपने घर में पल रहे आतंकी संगठनों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करता है या यह भी एक और कूटनीतिक असफलता की फेहरिस्त में जुड़ जाएगा।

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