पिछले महीने पुणे में हुई एक आत्महत्या ने पुलिस को एक बड़े सेक्सटॉर्शन रैकेट तक पहुंचा दिया। पुलिस जांच में सामने आया कि यह गिरोह लगभग 1900 किलोमीटर दूर कोलकाता में सक्रिय था और अपने अगले शिकार को फंसाने की फिराक में था। पुणे के दिघी थाने की पुलिस ने इस रैकेट का भंडाफोड़ किया, जिससे एक युवक की आत्महत्या के पीछे की पूरी साजिश उजागर हुई।
आत्महत्या से शुरू हुआ खुलासायह कहानी शुरू होती है 15 मई 2024 से, जब पुणे के दिघी इलाके में रहने वाले 35 वर्षीय किरण नामदेव दातेर ने अपने घर में आत्महत्या कर ली। पुलिस को किरण के चाचा के भाई सौरभ शरद विरकर की शिकायत मिली, जिसमें उन्होंने आत्महत्या के पीछे किसी गहरी साजिश की आशंका जताई। पुलिस ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए जांच शुरू की।
सेक्सटॉर्शन रैकेट का डरावना सचजांच के दौरान पुलिस की नजर किरण के व्हाट्सएप मैसेज पर पड़ी, जहां कई संदिग्ध नंबर मिले। इन नंबरों पर कॉल गर्ल के साथ बातचीत हुई थी। पुलिस ने पाया कि किरण ने वीडियो कॉल के दौरान अश्लील तस्वीरें बनाईं, जो बाद में उसके लिए जानलेवा साबित हुईं। रैकेट के सदस्यों ने इन तस्वीरों के बदले पैसे मांगे, जो शुरूआत में 12,000 रुपए थे, लेकिन धीरे-धीरे बढ़कर 51 लाख तक पहुंच गए।
अवसाद और मौत का रास्ताइतनी भारी रकम की मांग ने किरण को मानसिक रूप से तोड़ दिया। लगातार ब्लैकमेलिंग और धमकियों के चलते वह गहरे अवसाद में चला गया और अंततः उसने खुदकुशी कर ली। इस घटना ने पुलिस को इस बड़े सेक्सटॉर्शन रैकेट के खिलाफ कदम उठाने के लिए मजबूर कर दिया।
कोलकाता में रैकेट का भंडाफोड़पुलिस की पड़ताल के बाद वह कोलकाता के नगर बाजार इलाके तक पहुंची, जहां उसने सेक्सटॉर्शन रैकेट चलाने वाले छह लोगों को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार आरोपियों में थे:
जगदीश सिंह
नवीन कुमार महेश राम
सागर महेंद्र राम
मुरली हीरालाल केवट
अमर कुमार राजेंद्र राम
धीरेन कुमार राज कुमार पांडे
इनके कब्जे से 15 स्मार्टफोन, 7 आवाज बदलने वाले मोबाइल डिवाइस, 40 सिम कार्ड, 14 डेबिट कार्ड, 8 आधार कार्ड, 8 पैन कार्ड, 8 नोटबुक और पांच लाख से अधिक नकदी बरामद हुई।
गिरोह की कार्यप्रणालीपुलिस के अनुसार, यह गिरोह बड़ी शातिराना तरीके से काम करता था। सबसे पहले वे नए सिम कार्ड से फर्जी जीमेल अकाउंट बनाते थे, जिनमें कोई भी जानकारी सही नहीं होती। फिर वे देशभर की टॉप कॉल गर्ल्स की तस्वीरें और नंबर इंटरनेट से जुटाते थे। इसके बाद वे भोले-भाले लोगों को अपना निशाना बनाते, खासकर वे जो वीडियो चैटिंग और कॉल गर्ल्स से बात करना पसंद करते थे।
गिरोह के सदस्य वॉयस चेंजिंग डिवाइस का इस्तेमाल करते थे ताकि वे अपनी आवाज बदलकर शिकार से अश्लील बातचीत कर सकें। फिर वे इन बातचीत के वीडियो और तस्वीरें बनाकर ब्लैकमेलिंग शुरू करते थे। तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर डालने की धमकी देकर बड़ी रकम वसूलते थे। शुरू में मांग कम होती, लेकिन एक बार पैसे मिलने के बाद रकम लगातार बढ़ाई जाती।
किरण नामदेव की कहानीकिरण भी इसी जाल में फंस गया था। उसकी अश्लील तस्वीरें और वीडियो से उसका ब्लैकमेल किया गया। जब वह इस दबाव को सहन नहीं कर सका, तो उसने किसी से शिकायत करने के बजाय अपनी जिंदगी समाप्त कर ली। पुलिस ने इसी आत्महत्या के पीछे छिपे इस बड़े रैकेट का खुलासा किया।
निष्कर्ष:
यह मामला एक बार फिर दिखाता है कि कैसे तकनीकी का गलत इस्तेमाल कर निर्दोष लोगों को फंसाया जाता है और उनकी जिंदगी बर्बाद कर दी जाती है। पुलिस की इस कार्रवाई से सेक्सटॉर्शन जैसे अपराधों के खिलाफ सख्त संदेश गया है। लेकिन इस तरह के गिरोहों पर लगातार निगरानी और सख्त कानून लागू करना बेहद जरूरी है ताकि और लोगों को ऐसी आपदाओं से बचाया जा सके।