कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने 4 जून को बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर हुई भगदड़ में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों के लिए घोषित मुआवजा राशि को शनिवार को 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 25 लाख रुपये प्रति परिवार कर दिया। यह जानकारी राज्य सरकार की ओर से दी गई।
मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया, "मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने मृतकों के परिजनों के लिए मुआवजे की राशि बढ़ाकर 25-25 लाख रुपये करने का आदेश दिया है। इससे पहले सरकार ने 10-10 लाख रुपये मुआवजे की घोषणा की थी।"
रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक सदस्यीय जांच आयोग गठित
सरकार ने इस घटना की जांच के लिए हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज जॉन माइकल कुन्हा की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग गठित किया है। आयोग को घटना की पूर्ण जांच करने, दोषियों की पहचान करने और भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए एहतियाती उपायों की सिफारिश करने का निर्देश दिया गया है। रिपोर्ट जमा करने के लिए आयोग को 30 दिनों का समय दिया गया है।
KSCA के सचिव और कोषाध्यक्ष ने दिया इस्तीफा
कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ (KSCA) के अध्यक्ष रघुराम भट्ट ने शनिवार (7 जून, 2025) को स्पष्ट किया कि प्रबंधन समिति को भंग नहीं किया जाएगा, लेकिन सचिव ए शंकर और कोषाध्यक्ष ईएस जयराम का इस्तीफा एक आपात बैठक में स्वीकार कर लिया गया है। यह बैठक तब बुलाई गई जब इन दोनों अधिकारियों ने आरसीबी की जीत के जश्न के दौरान भगदड़ की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
जांच में पूरा सहयोग देगा KSCA: अध्यक्ष भट्ट
बैठक के बाद भट्ट ने कहा, "हमने सरकार और हाई कोर्ट को स्पष्ट कर दिया है कि हम जांच में पूरा सहयोग देंगे। हम पीछे नहीं हटेंगे और जो भी ज़रूरी होगा, उसे करेंगे।"
KSCA ने हाई कोर्ट में यह भी कहा कि गेट और भीड़ प्रबंधन उनकी जिम्मेदारी नहीं थी, और उन्होंने विधान सौध में कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति मांगी थी। विधान सौध में कार्यक्रम बिना किसी बड़ी समस्या के संपन्न हुआ, लेकिन एम चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर भारी भीड़ के कारण भगदड़ मच गई।
4 जून की शाम को हुई थी भगदड़, 11 की मौत, 56 घायल
यह भगदड़ 4 जून की शाम को चिन्नास्वामी स्टेडियम के सामने हुई, जब बड़ी संख्या में लोग आईपीएल विजेता आरसीबी टीम के जश्न में भाग लेने पहुंचे थे। इस दर्दनाक हादसे में 11 लोगों की मौत और 56 लोग घायल हो गए थे।
सरकार ने मजिस्ट्रियल जांच भी शुरू की है। इसके अलावा आयोग के अध्यक्ष, यदि आवश्यक हो, तो सेवानिवृत्त आईपीएस और आईएएस अधिकारियों की तकनीकी व कानूनी सहायता लेने के लिए भी कदम उठा सकते हैं।