पीरियड्स आने के बावजूद क्या महिला प्रेग्नेंट हो सकती है? जानिए पूरा जवाब
Lifeberrys Hindi June 08, 2025 05:42 PM

“अरे, मुझे तो इस महीने पीरियड्स आ गए थे, मैं प्रेग्नेंट कैसे हो सकती हूं?”

यह सवाल बहुत सी महिलाओं के मन में तब उठता है जब वे गर्भावस्था के सामान्य लक्षण जैसे थकान, मतली, मूड स्विंग्स या ब्रेस्ट में बदलाव महसूस करती हैं, लेकिन उन्हें यकीन होता है कि अभी-अभी उनका मासिक धर्म ठीक से आ चुका है। अक्सर यह माना जाता है कि यदि पीरियड्स हो गए, तो गर्भधारण होना असंभव है। लेकिन वास्तविकता इससे कहीं अधिक जटिल और विविध है।

पीरियड्स आना हमेशा यह संकेत नहीं होता कि महिला गर्भवती नहीं हो सकती। कई बार, मासिक धर्म जैसा रक्तस्राव होने के बावजूद महिला गर्भवती होती है। यह इसलिए होता है क्योंकि कुछ खास परिस्थितियों में गर्भावस्था और रक्तस्राव एक साथ हो सकते हैं, जो महिलाओं को भ्रमित कर देते हैं।

क्या पीरियड्स के दौरान गर्भधारण संभव है?

जब किसी महिला को मासिक धर्म होता है, तो इसका मतलब होता है कि अंडाणु निषेचित नहीं हुआ और गर्भाशय की परत बाहर निकल रही है। लेकिन कुछ विशेष मामलों में पीरियड्स जैसे खून आना और गर्भावस्था साथ-साथ हो सकते हैं, जिससे भ्रम की स्थिति बन जाती है। यह भ्रम इसलिए होता है क्योंकि ब्लीडिंग के कई प्रकार होते हैं और हर ब्लीडिंग मासिक धर्म नहीं होती।

भ्रम की स्थिति क्यों होती है?

# इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग

जब निषेचित अंडाणु गर्भाशय की दीवार से जुड़ता है, तब गर्भाशय की परत में थोड़ा खून आ सकता है, जिसे इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग कहा जाता है। यह ब्लीडिंग आमतौर पर हल्की, गुलाबी या भूरे रंग की होती है और सिर्फ 1-2 दिनों तक रहती है। कई महिलाएं इसे सामान्य पीरियड्स समझकर अनदेखा कर देती हैं, जबकि यह गर्भावस्था का पहला संकेत हो सकता है। इसे मासिक धर्म से अलग पहचानना जरूरी है क्योंकि मासिक धर्म आमतौर पर ज्यादा समय तक और ज्यादा मात्रा में होता है।

# हार्मोनल असंतुलन

गर्भावस्था के शुरुआती चरणों में शरीर में हार्मोन (खासकर प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन) के स्तर में बदलाव होता है, जो कभी-कभी हल्की स्पॉटिंग या ब्लीडिंग का कारण बन सकता है। इसके अलावा, पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS), थायरॉयड की समस्या या तनाव जैसी अन्य वजहों से भी हार्मोन असंतुलित हो सकता है, जिससे अनियमित ब्लीडिंग हो सकती है। यह ब्लीडिंग मासिक धर्म के समान नहीं होती और इसलिए महिलाओं को भ्रम हो सकता है कि यह सामान्य पीरियड्स है।

# ओव्यूलेशन जल्दी या देर से होना

हर महिला का मासिक चक्र समान नहीं होता; कुछ महिलाओं के ओव्यूलेशन जल्दी हो जाता है, तो कुछ में यह देर से होता है। अगर ओव्यूलेशन जल्दी या देर से होता है, तो फर्टाइल दिनों (गर्भधारण के सबसे उपयुक्त समय) में सेक्स के कारण प्रेग्नेंसी हो सकती है। इस स्थिति में शरीर में हार्मोनल उतार-चढ़ाव के कारण हल्का रक्तस्राव हो सकता है, जिसे अक्सर पीरियड्स समझ लिया जाता है। विशेष रूप से उन महिलाओं में यह ज्यादा होता है जिनका चक्र अनियमित होता है।

अन्य कारणों से होने वाली ब्लीडिंग

कभी-कभी गर्भावस्था के दौरान गर्भाशय के बाहर रक्तस्राव हो सकता है, जो कि गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स) की सूजन, संक्रमण, या गर्भाशय की पॉलिप्स के कारण हो सकता है। इन कारणों से भी ब्लीडिंग हो सकती है, जो कि मासिक धर्म से अलग होती है लेकिन भ्रम पैदा कर सकती है।

दवा या गर्भनिरोधक के प्रभाव : गर्भनिरोधक गोलियां, इम्प्लांट्स या अन्य दवाएं भी महिलाओं में अनियमित या स्पॉटिंग ब्लीडिंग का कारण बन सकती हैं, जिससे वे भ्रमित हो सकती हैं कि उन्हें पीरियड्स आए हैं जबकि वे प्रेग्नेंट हो सकती हैं।

यदि पीरियड्स के बावजूद प्रेग्नेंसी का शक हो तो क्या करें?

कई बार महिलाएं मासिक धर्म आने के बावजूद गर्भधारण का संदेह करती हैं, खासकर जब उन्हें थकान, मतली, ब्रेस्ट में सूजन या टेंडरनेस, मूड स्विंग्स जैसे प्रेग्नेंसी के आम लक्षण महसूस होते हैं। ऐसी स्थिति में जल्द से जल्द प्रेग्नेंसी टेस्ट कराना चाहिए ताकि संदेह की स्थिति साफ हो सके।

जरूरी कदम और सलाह:


# प्रेग्नेंसी टेस्ट करें: बाजार में उपलब्ध होम प्रेग्नेंसी टेस्ट किट का इस्तेमाल करें। टेस्ट सही समय पर यानी मासिक धर्म छूटने के एक या दो दिन बाद करें ताकि रिजल्ट अधिक विश्वसनीय हो।

# डॉक्टर से परामर्श लें: यदि टेस्ट नेगेटिव आए या लक्षण बने रहें, तो किसी योग्य गाइनोकॉलॉजिस्ट से संपर्क करें। डॉक्टर अतिरिक्त जांच जैसे ब्लड टेस्ट, अल्ट्रासाउंड आदि कराकर सही निदान कर सकते हैं।

# असामान्य ब्लीडिंग पर ध्यान दें: किसी भी तरह की असामान्य या अत्यधिक ब्लीडिंग, अधिक दर्द या सामान्य से अलग रक्तस्राव को नजरअंदाज न करें। यह किसी अन्य स्वास्थ्य समस्या का संकेत हो सकता है।

# शारीरिक बदलावों को समझें: शरीर में आने वाले हर बदलाव को हल्के में न लें। जैसे कि मूड स्विंग्स, कमजोरी, भूख में बदलाव या अन्य शारीरिक लक्षण हो सकते हैं जो आपकी सेहत या गर्भावस्था के संकेत हों।

# स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं: यदि आप गर्भवती हैं या इसकी संभावना है, तो स्वस्थ आहार लें, तनाव कम करें, और धूम्रपान, शराब जैसी चीजों से बचें।

# प्रेग्नेंसी की पुष्टि के बाद उचित देखभाल करें: प्रेग्नेंसी पक्की होने पर नियमित डॉक्टर चेकअप कराएं और जरूरी स्वास्थ्य सुझावों का पालन करें।

पीरियड्स और प्रेग्नेंसी का संबंध जितना सरल दिखता है, उतना है नहीं। आमतौर पर पीरियड्स का मतलब होता है कि आप गर्भवती नहीं हैं, लेकिन कुछ स्थितियों में यह नियम टूट सकता है। इसलिए यदि आपको कोई संदेह हो, तो डॉक्टर से सलाह लेना या टेस्ट कराना ही समझदारी है।

अपने शरीर की आवाज सुनिए — जवाब वहीं छिपा होता है।

डिस्क्लेमर:
इस लेख में दी गई जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। किसी भी सुझाव को अपनाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लेना जरूरी है।

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