दांतों की सफेदी और मुस्कान की चमक बनाए रखने के लिए लोग तरह-तरह के टूथपेस्ट और घरेलू नुस्खों का सहारा लेते हैं। लेकिन, दांतों की असली सेहत इस बात पर भी निर्भर करती है कि आप कौन-सा टूथब्रश इस्तेमाल करते हैं। गलत टूथब्रश का चुनाव न केवल आपके मसूड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है, बल्कि इनेमल को भी स्थायी हानि पहुंचा सकता है। डॉक्टरों का मानना है कि टूथब्रश को केवल कीमत या ब्रांड के आधार पर नहीं, बल्कि वैज्ञानिक और व्यावहारिक जरूरतों के मुताबिक चुना जाना चाहिए।
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सही टूथब्रश का मतलब केवल नया और आकर्षक ब्रश नहीं होता, बल्कि ऐसा ब्रश जो आपके दांतों की जरूरतों के मुताबिक हो। डेंटल एक्सपर्ट्स की सलाह है कि सॉफ्ट ब्रिसल्स वाले ब्रश का इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि ये ब्रिसल्स दांतों की सफाई तो करते ही हैं, साथ ही मसूड़ों को नुकसान नहीं पहुंचाते। हार्ड ब्रिसल्स वाले ब्रश इनेमल को घिस सकते हैं और मसूड़ों में सूजन या ब्लीडिंग का कारण बन सकते हैं, जिससे लंबे समय में गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
ब्रश का हेड जितना छोटा और एर्गोनॉमिक होगा, वह उतना ही प्रभावी होगा। डेंटल रिसर्च बताती है कि एक इंच लंबा और आधा इंच चौड़ा ब्रश हेड वयस्कों के लिए आदर्श माना जाता है। छोटे ब्रश हेड की खासियत होती है कि वह मुंह के कोनों और पीछे के दांतों तक आसानी से पहुंच सकता है। बड़े ब्रश हेड से सफाई अधूरी रह सकती है, जिससे बैक्टीरिया जमा हो सकते हैं और सांसों में बदबू या कैविटी जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
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ब्रश का हैंडल जितना मजबूत और आरामदायक होगा, ब्रशिंग उतनी ही प्रभावी होगी। नॉन-स्लिप ग्रिप और फ्लेक्सिबल नेक वाले हैंडल ब्रशिंग के समय हाथ की पकड़ मजबूत बनाए रखते हैं और दांतों पर संतुलित दबाव बनाते हैं। इलेक्ट्रिक ब्रश का उपयोग करने वाले लोगों को भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि ब्रश का हैंडल उनके हाथ में सहज महसूस हो और लंबे समय तक इस्तेमाल के बावजूद थकान न हो।
अधिकांश लोग टूथब्रश तब तक इस्तेमाल करते हैं जब तक वह पूरी तरह टूट न जाए, जो एक बड़ी गलती है। डेंटल एक्सपर्ट्स के अनुसार, टूथब्रश को हर 3-4 महीने में बदल देना चाहिए या जब उसके ब्रिसल्स घिस जाएं। घिसे हुए ब्रिसल्स न केवल सफाई में नाकाम होते हैं, बल्कि वे बैक्टीरिया के लिए एक सुरक्षित स्थान भी बन सकते हैं। यदि ब्रश से ब्रिसल्स फैलने लगें या रंग फीका पड़ने लगे, तो समय आ गया है नया ब्रश लाने का।
सिर्फ सही ब्रश नहीं, बल्कि ब्रशिंग की सही तकनीक भी दांतों की देखभाल में अहम भूमिका निभाती है। डेंटल सर्जन्स की राय है कि ब्रश को 45 डिग्री के कोण पर रखकर छोटे गोलाकार मूवमेंट में ब्रश करना सबसे असरदार तरीका है। अधिक दबाव डालकर ब्रश करने से इनेमल को नुकसान पहुंचता है और मसूड़ों में सूजन की आशंका बढ़ जाती है। इसलिए ब्रशिंग को धीरे और नियंत्रित तरीके से करना चाहिए ताकि दांत और मसूड़े दोनों सुरक्षित रहें।
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