गर्मी की बढ़ती चुनौतियाँ: हीटवेव और स्वास्थ्य पर प्रभाव
newzfatafat June 11, 2025 11:42 AM
गर्मी का मौसम और उसके प्रभाव

जून का महीना अंग्रेजी कैलेंडर में चल रहा है, जबकि हिंदी कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ का महीना शुरू हो चुका है। नौतपा, जो कि अत्यधिक गर्मी के नौ दिनों का समय है, बीत चुका है और अब गर्मी अपने चरम पर है। कुछ लोग इस बात पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं कि आषाढ़ में इतनी गर्मी कैसे हो रही है, जबकि अन्य का कहना है कि जून में गर्मी का होना सामान्य है। लेकिन हमें गर्मी के बढ़ते ट्रेंड को वस्तुनिष्ठ तरीके से समझने की आवश्यकता है। गर्मियों में गर्मी का आना कोई नई बात नहीं है, लेकिन बसंत का समाप्त होना और बरसात के बाद शिशिर ऋतु का खत्म होना चिंताजनक है। अब सर्दियों के बाद सीधे गर्मी का आना और बरसात का महीना भी गर्मियों में गुजरना एक गंभीर मुद्दा है।


हीटवेव की बढ़ती घटनाएँ

गर्मी के मौसम में हीटवेव के दिनों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। इस साल अप्रैल में हीटवेव का सामना किया गया और जून में भी दिल्ली और उत्तर भारत के कई राज्यों में हीटवेव का अनुभव किया गया। पिछले साल दिल्ली के पश्चिमी हिस्से में तापमान 52.9 डिग्री तक पहुंच गया था, हालांकि मौसम विभाग ने इसे मशीन की खराबी बताया। जब सामान्य तापमान 47 या 48 डिग्री तक पहुंचता है, तो 50 डिग्री से ऊपर जाना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। पिछले साल 40,000 हीटस्ट्रोक के मामले दर्ज किए गए थे।


मानसून की उम्मीदें और हीटवेव की चिंताएँ

मौसम विभाग ने इस साल मानसून के सामान्य से बेहतर रहने की उम्मीद जताई है, जिसमें 105 प्रतिशत बारिश का अनुमान है। लेकिन साथ ही, हीटवेव के दिनों की संख्या में वृद्धि की भी चेतावनी दी गई है। उत्तर प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में 10 से 11 दिन हीटवेव के हो सकते हैं। इस साल अप्रैल से जून के बीच देश के अधिकांश राज्यों में हीटवेव के दिन बढ़ने की संभावना है।


बिजली की मांग और स्वास्थ्य संकट

गर्मी के बढ़ने के साथ बिजली की खपत में वृद्धि होने की संभावना है। पिछले साल भारत में पीक ऑवर डिमांड 250 गीगावाट थी, जो इस साल 270 गीगावाट तक पहुंचने की उम्मीद है। भारत की बिजली उत्पादन क्षमता मुख्यतः थर्मल पावर प्लांट पर निर्भर है, जो गर्मी बढ़ाने का एक कारण है। बढ़ती गर्मी मानव जीवन के लिए एक गंभीर संकट बनती जा रही है, जिससे लोगों की जान जाती है और यह देश की अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती है।


हीट एक्शन प्लान की आवश्यकता

कई राज्यों ने हीट एक्शन प्लान बनाए हैं, लेकिन ये पर्याप्त नहीं हैं। राष्ट्रीय स्तर पर 2021 में नेशनल एक्शन प्लान ऑन हीट रिलेटेड इलनेस की घोषणा की गई थी, लेकिन इसे प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया गया है। स्थानीय स्तर पर डेटा संग्रहण की प्रणाली को मजबूत करने की आवश्यकता है ताकि हीटवेव के प्रभाव को बेहतर तरीके से समझा जा सके।


तेलंगाना की पहल

इस साल अप्रैल में तेलंगाना ने लू को आपदा घोषित किया और लू से मरने वालों के परिजनों को चार लाख रुपए की सहायता देने की घोषणा की। यह कदम अन्य राज्यों के लिए एक उदाहरण बन सकता है। हीटवेव को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का समय आ गया है।


गर्मी से निपटने के उपाय

भारत में बढ़ती गर्मी को रोकना संभव नहीं है, लेकिन इससे निपटने के उपाय किए जा सकते हैं। स्वास्थ्य इमरजेंसी घोषित करके इलाज की व्यवस्था की जा सकती है और हीटवेव से होने वाली मौतों के बाद सहायता राशि देने की व्यवस्था की जा सकती है।


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