नीम करोली बाबा का कैंची धाम (नैनीताल, उत्तराखंड) में बहुत प्रसिद्ध आश्रम और तपोभूमि है, जिसकी स्थापना उन्होंने स्वयं की थी और जहां वे लंबे समय तक रहे थे। कैंची धाम में हर साल 15 जून को वार्षिक समारोह होता है, जो उनके आश्रम का स्थापना दिवस होता है और यहां हनुमान जी का एक भव्य मंदिर भी है, जहां नीम करोली बाबा उनकी पूजा-अर्चना किया करते थे। आजकल बहुत से लोग कैंची धाम को नीम करोली बाबा का समाधि स्थल मानते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। असल में नीम करोली बाबा का समाधि स्थल कैंची धाम में नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश के वृंदावन में है।
बाबा नीम करोली ने 11 सितंबर 1973 को वृंदावन में ही अपना शरीर त्याग दिया था। वृंदावन में उनकी महासमाधि उसी स्थान पर स्थित है, जहां उन्होंने अपने अंतिम दिन बिताए और अंतिम सांस ली थी। वृंदावन में परिक्रमा मार्ग पर स्थित उनके आश्रम में उनका समाधि मंदिर बना हुआ है। जिसके बारे में लोगों को अधिक जानकारी नहीं है। लेकिन इस स्थान पर उनकी समाधि बनाई गई है।
कैंची धाम उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित है और यह नीम करोली बाबा का समाधि स्थल नहीं बल्कि आश्रम है। यह आश्रम बाबा और उनके भक्तों के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसकी स्थापना 15 जून को हुई थी। यहां हर साल 15 जून को विशाल भंडारा आयोजित किया जाता है।
अगर आप नीम करोली बाबा की समाधि के दर्शन करना चाहते हैं तो आपको कैंची धाम नहीं बल्कि वृंदावन जाना होगा। स्थापना दिवस के मौके पर लाखों श्रद्धालु उनकी समाधि के दर्शन करने कैंची धाम के साथ-साथ वृंदावन भी जाते हैं और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। ऐसा माना जाता है कि उनकी समाधि पर जाने से लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।