गुरुवार का दिन अहमदाबाद के लिए एक काला दिन बन गया, जब एयर इंडिया की लंदन जाने वाली उड़ान AI-171 टेकऑफ के कुछ ही मिनटों बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस भयानक हादसे ने 242 यात्रियों में से 241 की जिंदगी छीन ली। इस त्रासदी में केवल एक व्यक्ति, 40 वर्षीय ब्रिटिश नागरिक रमेश विश्वेश कुमार, चमत्कारिक रूप से जीवित बचे। यह हादसा न केवल भारत बल्कि वैश्विक स्तर पर भी पिछले एक दशक की सबसे भीषण विमान दुर्घटनाओं में से एक माना जा रहा है। आइए, इस हृदयविदारक घटना के हर पहलू को समझें और रमेश की उस कहानी को जानें, जिसने मौत को मात दी।
आसमान से जमीन पर बिखरा मंजरदोपहर 1:39 बजे, जब अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान AI-171 ने उड़ान भरी, किसी को नहीं पता था कि यह उड़ान कुछ ही पलों में एक त्रासदी में बदल जाएगी। बोइंग 787 ड्रीमलाइनर, जो अपनी तकनीकी विश्वसनीयता के लिए जाना जाता है, केवल 625 फीट की ऊंचाई पर पहुंचा था कि यह पास के एक मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल पर जा गिरा। उस समय हॉस्टल में छात्र दोपहर का भोजन कर रहे थे, जिसके कारण जमीन पर भी कई लोगों की जान चली गई। आग और धुएं के बीच बिखरे मलबे ने पूरे इलाके को मातम में डुबो दिया।
रमेश की चमत्कारी कहानी: इमरजेंसी एक्जिट ने बचाई जानइस हादसे का एकमात्र जीवित बचा व्यक्ति, रमेश विश्वेश कुमार, उस समय सीट 11A पर बैठा था, जो इमरजेंसी एक्जिट के ठीक पास थी। पुलिस अधिकारी विधि चौधरी ने बताया कि रमेश की यह सीट उनकी जिंदगी का टर्निंग पॉइंट साबित हुई। जैसे ही विमान में आग लगी, रमेश ने सूझबूझ दिखाते हुए आपातकालीन दरवाजे से छलांग लगा दी। अस्पताल के बिस्तर से रमेश ने मीडिया को बताया, “जब मैंने आंखें खोलीं, तो चारों तरफ लाशें थीं। मैं घबरा गया और बस भागा। विमान के टुकड़े बिखरे पड़े थे।” सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में रमेश को खून से सनी टी-शर्ट और चोटिल चेहरे के साथ सड़क पर लंगड़ाते देखा गया, जहां चिकित्सा कर्मचारी उनकी मदद कर रहे थे।
परिवार में छाया मातमरमेश अपने भाई अजय के साथ भारत में अपने परिवार से मिलने आए थे और लंदन लौट रहे थे। इस हादसे ने उनके परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया। ब्रिटेन के लीसेस्टर में रहने वाले रमेश के चचेरे भाई अजय वालगी ने बीबीसी को बताया, “रमेश ने सिर्फ इतना कहा कि वह ठीक हैं। लेकिन उनके भाई अजय का अभी तक कोई पता नहीं चला। हमारा पूरा परिवार सदमे में है।” रमेश विवाहित हैं और उनका एक बेटा है, जो इस खबर से पूरी तरह टूट चुका है।
जांच के कठिन सवालहादसे के कारणों का पता लगाने के लिए भारत की विमानन जांच एजेंसी AAIB और अमेरिका की NTSB संयुक्त रूप से काम कर रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ब्लैक बॉक्स इस रहस्य को सुलझाने में अहम भूमिका निभाएगा। क्या यह तकनीकी खामी थी, मानव त्रुटि, या इंजन फेल होने का मामला? बोइंग 787 ड्रीमलाइनर का यह पहला बड़ा घातक हादसा है, जिसके कारण जांच और भी जटिल हो गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि ब्लैक बॉक्स के विश्लेषण में समय लग सकता है, लेकिन यह हादसे के पीछे की सच्चाई को उजागर करेगा।