जीजा-साले की जोड़ी ने किया कमाल, 3 साल में खड़ा कर दिया करोड़ों का बिजनेस, पहले चलाते थे दुकान, ये था बिजनेस आइडिया

आज हम आपको जीजा-साले की एक ऐसी जोड़ी के बारे में बताने वाले हैं, जिन्होनें अपने एक कारोबार को बंद करके दूसरा कारोबार शुरू किया और इसमें सफलता हासिल की. हम बात कर रहे हैं सनत जैन और विशाल जैन की. दोनों के बीच में जीजा-साले का रिश्ता है. दोनों पहले चांदनी चौक में सीसीटीवी की दुकान चलाया करते थे लेकिन इस क्षेत्र में बढ़ती प्रतिस्पर्धा को देखते हुए दोनों को अपनी यह दुकान बंद करनी पड़ी, जिसके बाद दोनों ने मिलकर "लवना स्मार्ट डोर लॉक्स" नाम से एक नया ब्रांड शुरू किया, जो कि डिजिटल लॉकर बनाता है. आज यह ब्रांड करोड़ों रुपये के कारोबार में बदल चुका है.
साल 2020 में बंद की दुकान और शुरू किया नया कारोबारसाल 2020 में सनत जैन और विशाल जैन ने दिल्ली के चांदनी चौक में अपनी सीसीटीवी की दुकान बंद कर दी. दुकान बंद करने का कारण मार्केट में बढ़ती प्रतिस्पर्धा थी. इस दौरान उन्होंने चीन की यात्रा की और दोनों को डिजिटल स्मार्ट लॉकर के बिजनेस को शुरू करने का आइडिया आया. डिजिटल स्मार्ट लॉकर से प्रभावित होकर पहले उन्होंने इसे अपने घर में लगाया और इसका अनुभव लिया. ऐसे में उन्होंने डिजिटल स्मार्ट लॉकर का कारोबार शुरू कर दिया.
दोनों इस क्षेत्र को समझने के लिए मार्केट की गहराई तक गए और उन्होंने विभिन्न ब्रांडों के लिए स्मार्ट लॉक बनाने वाली एक ओईएम (ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर) के रूप में काम करना शुरू कर दिया. साल 2021 में दोनों ने लवना स्मार्ट डोर लॉक्स के नाम से खुद का ब्रांड शुरू किया और अपने इस बिजनेस में 50-50 लाख रुपये का निवेश किया. उनकी मूल कंपनी का नाम भगवान श्री लॉक्स प्राइवेट लिमिटेड है.
विशाल जैन ने खरीद और सर्विसिंग का प्रबंधन करने का काम किया. वहीं सनत जैन बिक्री और मार्केटिंग देखने लगे. शुरुआत में उन्हें काफी मुश्किल का सामना करना पड़ा लेकिन धीरे धीरे लोगों के बीच उनके प्रोडक्ट को लेकर विश्वास बना और उनके कारोबार का विस्तार हुआ. उनके डिजिटल स्मार्ट लॉकर कई एडवांस टेक्नोलॉजी वाले हैं. इसमें Wi-Fi और ब्लूटूथ, 0.4 सेकंड में फिंगरप्रिंट डिटेक्शन, OTP जैसी सुविधाएं हैं. आज लवना स्मार्ट डोर लॉक्स के अलग अलग प्रोडक्ट्स भारत के 120 स्टोर पर उपलब्ध हैं. लवना स्मार्ट डोर लॉक्स के प्रोडक्ट की बिक्री ऑनलाइन भी होती है. केवल 3 सालों में ही इस कंपनी का टर्नओवर 7 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है.