अहमदाबाद विमान हादसा…कोलकाता में रहता है दिवंगत विजय रूपाणी के परिवार का बड़ा कुनबा, 'बड़े भाई' की यादें बनीं सहारा
Udaipur Kiran Hindi June 14, 2025 10:42 PM

कोलकाता, 14 जून (Udaipur Kiran) । अहमदाबाद विमान हादसे में गुरुवार को गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की असमय और दुखद मौत ने न सिर्फ राजनीतिक हलकों को हिला कर रख दिया, बल्कि कोलकाता में बसे उनके परिजनों को भी गहरे शोक में डुबो दिया। यह मनहूस खबर जब कोलकाता के भवानीपुर निवासी विपुल रूपानी तक पहुंची, तो उनके लिए व्यक्तिगत त्रासदी बन गई। सत्तर वर्षीय विपुल रूपाणी, विजय रूपाणी के चचेरे भाई हैं। विपुल रूपाणी ने कहा, मैंने अपना अभिभावक खो दिया। वो हमारे साथ हर सुख-दुख में खड़े रहते थे। उन्होंने कभी हमें पराया नहीं समझा।

कोलकाता और आसपास के इलाकों में रूपाणी परिवार की तीन पीढ़ियों से मौजूदगी रही है। करीब 25 सदस्य, जिनमें विजय रूपाणी के बड़े भाई उमेद रूपाणी भी शामिल हैं, अब भी कोलकाता और हावड़ा में निवास करते हैं। परिवार का एक हिस्सा कई दशक पहले पढ़ाई के सिलसिले में गुजरात गया और वहीं बस गया। विजय रूपाणी इसी हिस्से से ताल्लुक रखते थे।

विपुल रूपाणी बताते हैं, विजयभाई पिछले साल कोलकाता आए थे। तब वे उमेदभाई के हाजरा स्थित घर पर ठहरे थे। हमने साथ में ढेर सारी बातें कीं, खूब हंसी-मजाक हुआ। तब वह मुख्यमंत्री नहीं थे, लेकिन उन्होंने कभी खुद को अलग नहीं किया। उन्होंने कहा, हम सभी उन्हें ‘बड़ा भाई’ कहते थे। उनका यूं चले जाना परिवार के लिए गहरा आघात है। यह ऐसा नुकसान है जिसे भरना बहुत मुश्किल होगा। वह पूरे रूपाणी परिवार के संरक्षक थे।

विजय रूपाणी की विमान में उपस्थिति की जानकारी सबसे पहले परिवार के एक सदस्य के व्हाट्स ऐप ग्रुप पोस्ट से मिली। विपुल बताते हैं, शुरुआत में किसी को पता नहीं था कि वह उसी विमान में थे। लेकिन जैसे ही पुष्टि हुई, पूरा परिवार स्तब्ध रह गया। इससे उमेद रूपाणी इतने व्यथित हो गए कि वह किसी से बात करने की हालत में नहीं रहे। वह शुक्रवार सुबह ही अहमदाबाद के लिए रवाना हो गए। विपुल ने बताया, वह किसी का फोन नहीं उठा रहे। बस चुपचाप निकल गए। विपुल खुद भी जल्द ही गुजरात रवाना होने की तैयारी में हैं। उन्होंने कहा, हमारे परिवार के कुछ सदस्य पहले ही पहुंच चुके हैं। मैं भी जल्द ही अन्य परिजनों के साथ वहां जाऊंगा।

विजय रूपाणी के साथ हुई इस दुर्घटना में एक बड़ा संयोग भी जुड़ गया है। 1206 उनका फेवरेट नंबर हुआ करता था। उन्होंने अपनी गाड़ी का नंबर भी यही ले रखा था। और संयोग से इसी तारीख (12 जून/1206) को हुई दुर्घटना में उन्होंने आखिरी सांस ली है।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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