बरसात का मौसम आते ही गांव, खेत और जंगल में रहने वाले लोग एक अनजान डर से कांप उठते हैं। उस डर की वजह है सांप। पता नहीं ये कहां से आते हैं और किस मोड़ पर काट लेंगे, उन्हें डर रहता है कि कहीं सांप ने काट लिया तो हालात जानलेवा न हो जाएं। ऐसे में अस्पताल से दूर कई गांवों में लोग घरेलू नुस्खों पर भरोसा करते हैं। ऐसे ही घरेलू नुस्खों में एक अद्भुत पौधा है जिसे आयुर्वेद से लेकर वैज्ञानिक शोधों तक ने मान्यता दी है। वो है बोड़ा काकरकाया का पौधा।
बोडकाकरा के पेड़ की पत्तियों और जड़ों में छिपे औषधीय गुण इसे बेहद खास बनाते हैं। पुराने जमाने में जब अस्पताल और चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध नहीं थीं, तब ग्रामीण लोग जहरीले जीवों के जहर को कम करने के लिए इस पौधे का खूब इस्तेमाल करते थे। ऐसा माना जाता है कि सांप के काटने पर इस पौधे की पत्तियों का पेस्ट बनाकर घाव पर लगाया जा सकता है और थोड़ा सा रस पीकर शरीर में फैले जहर को नियंत्रित किया जा सकता है।
आयुर्वेद में बोडकाकरा का महत्व, वैज्ञानिक पुष्टिआयुर्वेद में बोडकाकरा के पत्तों के औषधीय गुणों का व्यापक रूप से उल्लेख किया गया है। यह न केवल सांप के काटने पर बल्कि कई अन्य जहरीले जानवरों के जहर को कम करने के लिए भी उपयोगी है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) की रिपोर्ट भी स्पष्ट करती है कि इन पत्तियों में एंटी-वेनम गुण होते हैं। इन रिपोर्टों के अनुसार, इस पौधे की ताजी पत्तियों या जड़ों का पेस्ट जहर को बेअसर करने में कारगर है।
चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा किए गए शोध में पता चला है कि बोडाकाकरा का पौधा सदियों से पारंपरिक चिकित्सा का अहम हिस्सा रहा है। पाया गया है कि इस पौधे में मौजूद पोषक तत्व शरीर में जहर के असर को कम करते हैं और उसे बाहर निकालने में मदद करते हैं। इसीलिए इसे प्राकृतिक एंटीवेनम भी कहा जाता है।
एक पौधा जो 5 मिनट में असर दिखाता है?कई प्राचीन चिकित्सकों का मानना है कि इस पेड़ की पत्तियां सांप के जहर पर बहुत जल्दी असर करती हैं, सिर्फ़ 5 मिनट में। हालाँकि, यहाँ एक महत्वपूर्ण बात याद रखनी चाहिए: यह सिर्फ़ प्राथमिक उपचार है। यह कभी भी अस्पतालों में उपलब्ध एंटी-वेनम इंजेक्शन का विकल्प नहीं है। सांप के काटने पर सबसे पहली और सबसे महत्वपूर्ण कार्रवाई बिना समय बर्बाद किए नज़दीकी अस्पताल जाना है। डॉक्टरों से मिलने वाला एंटी-वेनम इंजेक्शन ही जहर का एकमात्र पूर्ण और सुरक्षित उपचार है। बोडाकाकरा का पौधा सिर्फ़ तब तक मदद करता है जब तक पीड़ित अस्पताल नहीं पहुँच जाता, जिससे कीमती समय की बचत होती है।