इन 55 गांवों की जमीन पर लिखा जाएगा विकास का नया इतिहास, जेवर एयरपोर्ट के पास बसेगी सपनों की सिटी
Newsindialive Hindi June 16, 2025 06:42 AM
इन 55 गांवों की जमीन पर लिखा जाएगा विकास का नया इतिहास, जेवर एयरपोर्ट के पास बसेगी सपनों की सिटी

आप कल्पना कीजिए, जहां आज दूर-दूर तक खेत हैं, कल वहां चौड़ी सड़कें, ऊंची इमारतें, बड़े-बड़े उद्योग और तेज रफ्तार ट्रेन दौड़ती नजर आए। यह कोई सपना नहीं, बल्कि एक हकीकत है जो अब जमीन पर उतरने जा रही है। यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) ने एक ऐसे विशाल और भविष्य के शहर को बसाने की तैयारी शुरू कर दी है, जो नोएडा और ग्रेटर नोएडा को भी टक्कर देगा।

यह क्रांतिकारी बदलाव बुलंदशहर जिले के 55 गांवों की जमीन पर होने जा रहा है, जिनका नक्शा अब हमेशा के लिए बदलने वाला है।

क्यों बसाया जा रहा है यह शहर?

यह प्रोजेक्ट सिर्फ कुछ घर या फैक्ट्रियां बनाने के लिए नहीं है, बल्कि यह जेवर में बन रहे नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (Noida International Airport) के आसपास एक विशाल आर्थिक और औद्योगिक केंद्र (Economic Hub) बनाने की योजना का हिस्सा है। इसका लक्ष्य एक ऐसा स्मार्ट शहर तैयार करना है, जहां रहने, काम करने और व्यापार करने की विश्व स्तरीय सुविधाएं हों।

आपके लिए इसका क्या मतलब है? क्या-क्या बनेगा यहां?

यह नया शहर सड़कों, ट्रेनों और उद्योगों का एक ऐसा जाल बिछाएगा जो पूरे पश्चिमी यूपी की तस्वीर बदल देगा:

  • दो नए एक्सप्रेसवे: इस शहर को न केवल गंगा एक्सप्रेसवे से सीधे जोड़ा जाएगा, बल्कि यहां से एक और नया एक्सप्रेसवे भी निकलेगा, जो सफर को सुपरफास्ट बना देगा।

  • दौड़ेगी ट्रेन: पहली बार इस इलाके को सीधे रेल लाइन से जोड़ा जाएगा। जेवर एयरपोर्ट और नए शहर के बीच एक समर्पित रेलवे लिंक बनेगा, जिससे माल ढुलाई और लोगों का आना-जाना बेहद आसान हो जाएगा।

  • उद्योगों और नौकरियों का महासागर: यहां लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउसिंग हब बनाए जाएंगे। देश-विदेश की बड़ी-बड़ी कंपनियां यहां अपनी फैक्ट्रियां लगाएंगी, जिससे लाखों नए रोजगार पैदा होंगे।

  • आधुनिक जीवन: इन सबके अलावा, यहां आवासीय कॉलोनियां, स्कूल, अस्पताल और बाजार भी बनाए जाएंगे, जो एक पूरी तरह से नए और नियोजित शहर का निर्माण करेंगे।

किसानों का क्या होगा?

इस विशाल योजना के केंद्र में वे किसान हैं, जिनकी जमीन पर यह सपना साकार होगा। YEIDA ने स्पष्ट कर दिया है कि यह जमीन जबरदस्ती नहीं, बल्कि किसानों की सहमति और सीधे खरीद के माध्यम से ली जाएगी। इसके लिए 3,500 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर भी तय की गई है, ताकि किसानों को उनकी जमीन का उचित और लाभकारी मुआवजा मिल सके।

यह सिर्फ 55 गांवों की कहानी नहीं है, यह एक नए भविष्य की बुनियाद रखने की कहानी है। एक ऐसा भविष्य, जहां विकास की रोशनी खेतों से होकर गुजरेगी और उत्तर प्रदेश को तरक्की की एक नई ऊंचाई पर ले जाएगी।

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