शरीर के किसी हिस्से में मवाद या पस का जमा होना एब्सेस के रूप में जाना जाता है, जिसे आमतौर पर फोड़ा या फुंसी कहा जाता है। यह समस्या शरीर के किसी भी भाग में उत्पन्न हो सकती है, जिससे त्वचा उभर जाती है और उसमें मवाद भर जाता है, जिसे छूने पर दर्द का अनुभव होता है।
फोड़े या फुंसियों के बनने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे बैक्टीरियल संक्रमण, खाद्य एलर्जी, लिम्फ नलिकाओं में रुकावट, त्वचा की उचित सफाई न करना, शरीर में विषाक्त पदार्थों का जमा होना, और अधिक गर्म चीजों का सेवन।
फोड़े-फुंसियों से छुटकारा पाने के लिए आयुर्वेद में कई प्रभावी उपाय सुझाए गए हैं। इनमें से एक प्रमुख उपाय है नीम की छाल का उपयोग। इसे घिसकर फोड़े-फुंसियों पर लगाने से लाभ मिलता है। यह उपाय हजारों वर्षों से आयुर्वेद चिकित्सा में प्रचलित है।
नीम का पेड़ अनेक गंभीर बीमारियों के उपचार में सहायक होता है। वर्तमान में नीम से कई औषधियाँ भी बनाई जा रही हैं। फोड़े या फुंसी होने पर उन्हें हाथ से न छेड़ें, क्योंकि इससे बैक्टीरिया अन्य हिस्सों में फैल सकते हैं और गंभीर समस्याएँ उत्पन्न कर सकते हैं।
फोड़े-फुंसियों से बचने के लिए नीम की छाल को पत्थर पर घिसकर उसमें थोड़ा पानी मिलाएँ और इसे प्रभावित क्षेत्र पर लगाकर सूखने दें। इससे फोड़े-फुंसियाँ जल्दी ठीक हो जाती हैं। नीम की छाल में एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल, एंटीऑक्सीडेंट, एंटीसेप्टिक और एंटीवायरल गुण होते हैं, जो त्वचा पर मौजूद फोड़े-फुंसियों को समाप्त करने और संक्रमण फैलने से रोकने में मदद करते हैं।