बाघों के लिए कान्हा टाइगर रिजर्व देश में नंबर-1, दूसरे नंबर पर पेंच टाइगर रिजर्व
Webdunia Hindi June 16, 2025 08:42 PM


भोपाल। देश में टाइगर के लिए प्रदेश का कान्हा टाइगर रिजर्व सबसे आदर्श निवास है। भारतीय वन्य-जीव संस्थान, देहरादून द्वारा जारी की गयी रिपोर्ट के अनुसार कान्हा टाइगर रिजर्व में शाकाहारी वन्य-प्राणियों की संख्या देश में सबसे अधिक है। कान्हा टाइगर रिजर्व को देश में बाघों का सर्वश्रेष्ठ आवास क्षेत्र घोषित किया गया है। वहीं पेंच टाइगर रिजर्व दूसरे स्थान पर है। गौरतलब है कि कान्हा टाइगर रिजर्व प्रदेश के मण्डला जिले में स्थित है। इसका कुल क्षेत्रफल 2074 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें 917.43 वर्ग किलोमीटर कोर क्षेत्र और 1134 वर्ग किलोमीटर में बफर जोन शामिल है। कान्हा टाइगर रिजर्व वन्य-जीव सम्पदा संरक्षण में देश में सर्वश्रेष्ठ है।

भारतीय वन्य-जीव संस्थान, देहरादून द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार कान्हा टाइगर रिजर्व में शाकाहारी वन्य-जीवों की संख्या 1 लाख 2 हजार 485 है। इनका प्रति वर्ग किलोमीटर घनत्व 69.86 आंका गया है। अभयारण्य का कुल बायोमास 12.6 लाख किलोग्राम 8602.15 किलोग्राम/वर्ग किलोमीटर है। कान्हा टाइगर रिजर्व में चीतल, सांभर, गौर, जंगली सुअर, बार्किंग डियर, नीलगाय और हॉग डियर की बहुतायत है। इस आधार पर इस रिपोर्ट में कान्हा टाइगर रिजर्व को बाघों की बढ़ती आबादी के लिये एक आदर्श निवास घोषित किया है। यहाँ विविध शाकाहारी प्रजातियों की संख्या में लगातार आनुपातिक वृद्धि से यह जैविक रूप से सबसे समृद्ध और संतुलित वन्य-जीव पारिस्थितिकी तंत्र बन गया है।

प्रबंधन रणनीतियाँ बनी सफलता की आधारशिला-कान्हा टाइगर रिजर्व अपनी प्रबंधन नीतियों के कारण आदर्श बाघ निवास बन सका है। यहाँ वर्षभर घास भूमियों की देखरेख, जल स्रोतों का निर्माण, झाड़ियों की सफाई, लांटाना जैसी घासों का उन्मूलन और बाघ-आहार प्रजातियों की संख्या बढ़ाने के लिये आवास सुधार के कार्य जारी रहते हैं। गर्मियों में जल संकट से निपटने के लिये कृत्रिम जलकुंड, सोलर बोरवेल्स और तालाबों का गहरीकरण एवं साफ-सफाई नियमित रूप से की जाती है। अभयारण्य क्षेत्र में M-STriPES मोबाइल ऐप पर सतत निगरानी रखी जाती है। अभयारण्य में अप्रैल-2025 में 88,600 किलोमीटर क्षेत्र में गश्ती निगरानी की गयी, जो देश में सबसे अधिक है।

अभयारण्य के कोर क्षेत्र से गाँवों के स्थानांतरण के बाद पुनर्जीवित घास-भूमियों ने वन्य-जीवों को बिना मानवीय हस्तक्षेत्र के फलने-फूलने का अवसर दिया। अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्रों से कम घनत्व वाले क्षेत्रों में चीतल जैसी प्रजातियों का स्थानांतरण किया गया और विभिन्न घास-भूमियों को जोड़ने वाले गलियारे बनाये गये इससे बारहसिंगा, चीतल और गौर जैसी प्रजातियों को मुक्त रूप से विचरण की स्वतंत्रता मिलती है।

वनकर्मियों को नियमित प्रशिक्षण एवं डब्ल्यूआईआई, देहरादून से तकनीकी मार्गदर्शन से आंकड़ों की विश्वसनीयता और वैज्ञानिकता सुनिश्चित की गयी। बंजर घाटी में पहले से अधिक घनत्व होने के कारण हालन घाटी में घास-भूमि के विकास और प्रजातियों के सतत स्थानांतरण के जरिये शाकाहारी प्रजातियों की संख्या में निरंतर वृद्धि हुई है।

कान्हा टाइगर रिजर्व विविध आवास प्रकारों और सशक्त प्रबंधन से देश के अभयारण्यों में शीर्ष पर है। यहाँ के उच्च बायोमास, संतुलित प्रजाति वितरण और न्यूनतम मानव-वन्य-जीव संघर्ष इसे अन्य अभयारण्यों के लिये मॉडल बनाता है।
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