पेट्रोल पंप जागरूकता युक्तियाँ: आपने अक्सर देखा होगा कि पेट्रोल पंप पर कुछ लोग 100, 200 या 500 रुपए की बजाय 110, 210 या 510 रुपए का पेट्रोल या डीज़ल भरवाते हैं. यह व्यवहार पहली नज़र में असामान्य लग सकता है, लेकिन इसके पीछे एक दिलचस्प मनोविज्ञान और गलतफहमी छिपी हुई है, जिसे समझना जरूरी है.
असल में, अधिकतर पेट्रोल पंपों पर डिजिटल डिवाइस लगी होती हैं जिनमें 100, 200, 500 जैसे स्टैंडर्ड अमाउंट के लिए पहले से बटन प्रीसेट होते हैं. जब आप इन तय राशियों में से किसी को बोलते हैं, तो ऑपरेटर बस एक बटन दबाकर तेल भरना शुरू कर देता है. इससे समय की बचत होती है और कार्य आसान बनता है.
कई उपभोक्ता मानते हैं कि इन प्रीसेट बटनों में गड़बड़ी होती है या ठगी की संभावना अधिक होती है. उन्हें लगता है कि अगर वे 100 की बजाय 110 रुपए का तेल भरवाते हैं, तो यह राशि मशीन के प्रीसेट विकल्प से अलग होने के कारण ऑपरेटर को मैन्युअली दर्ज करनी होगी, जिससे वे ठगी से बच सकते हैं.
यह पूरी तरह से एक भ्रम है. पेट्रोल पंपों पर लगी मशीनें कंप्यूटर से नियंत्रित होती हैं और उनमें तेल की कीमत प्रति लीटर के हिसाब से पहले से सेट होती है. चाहे आप 100 रुपए का तेल भरवाएं या 110 रुपए का, मशीन आपको उतनी ही मात्रा देती है जितनी उस समय की कीमत के अनुसार बनती है.
अगर आप यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि आपको तेल की सही मात्रा मिले, तो बेहतर होगा कि आप लीटर के हिसाब से पेट्रोल भरवाएं, न कि रुपए के हिसाब से. उदाहरण के लिए, अगर पेट्रोल का रेट ₹96 प्रति लीटर है, तो आप कहें कि “1 लीटर पेट्रोल भरिए”. इससे मशीन में सीधे मात्रा दर्ज की जाएगी, और आपको पूरी पारदर्शिता मिलेगी.
कई बार उपभोक्ता सोचते हैं कि प्रेस्क्राइब्ड अमाउंट (जैसे ₹100, ₹200) पर तेल कम डाला जाता है और मशीन गड़बड़ी करती है. लेकिन सच्चाई यह है कि मशीनें सरकार द्वारा प्रमाणित और कैलिब्रेटेड होती हैं. अगर किसी पंप पर गड़बड़ी है तो यह एक अनियमितता का मामला है, न कि किसी निश्चित बटन से जुड़ी समस्या.
तेल भरने वाली मशीनों में एक प्रोग्राम्ड माइक्रोचिप होती है जिसमें तेल का रेट डाला जाता है. जब आप रुपए में अमाउंट बताते हैं, तो मशीन उसी हिसाब से तेल की मात्रा अपने-आप तय कर देती है. वहीं, लीटर के हिसाब से देने पर रेट से मल्टिप्लाई करके कीमत तय होती है.
जो लोग 110 या 510 रुपए का पेट्रोल भरवाते हैं, वे मानसिक संतोष महसूस करते हैं कि उन्होंने ठगी से बचाव का तरीका अपनाया है. लेकिन वास्तविकता यह है कि मशीन की पारदर्शिता लीटर के हिसाब से भरवाने पर ज्यादा रहती है.
तेल पंपों पर लगे मीटर Weights and Measures विभाग द्वारा नियमित रूप से जांचे जाते हैं. उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहना चाहिए, लेकिन भ्रम या अफवाहों पर आधारित निर्णय ठोस समाधान नहीं हैं.