अगर आप शहरों की भीड़-भाड़, शोर और भागदौड़ भरी जिंदगी से तंग आ चुके हैं और किसी ऐसी जगह की तलाश में हैं, जहां सिर्फ शांति, सुकून और प्रकृति हो, तो उत्तराखंड का पिंस्वाड़ गांव आपके लिए ही है। यह रुद्रप्रयाग जिले में छिपा एक ऐसा नगीना है, जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। अपनी बेमिसाल खूबसूरती के कारण यह गांव अब धीरे-धीरे देश-विदेश के पर्यटकों को भी अपनी ओर खींच रहा है।
कैसा है पिंस्वाड़ गांव का जादुई माहौल?कल्पना कीजिए, एक ऐसा गांव जहां आज भी पत्थर और लकड़ी से बने पारंपरिक घर हैं, जिनकी छतें स्लेट की हैं। जहां सुबह की पहली किरण बर्फ से ढकी हिमालय की चोटियों पर पड़ती है और पूरा नजारा सोने जैसा चमक उठता है। पिंस्वाड़ से आपको चौखंभा, केदारनाथ और मंदानी जैसी भव्य पर्वत श्रृंखलाओं का बिना किसी रुकावट के 360-डिग्री व्यू मिलता है। यहां की हवा में ताजगी और माहौल में एक ठहराव है, जो मन को एक अलग ही स्तर का सुकून देता है।
यहां क्या है खास करने के लिए?ट्रेकिंग और प्रकृति से जुड़ाव: यह गांव एडवेंचर प्रेमियों के लिए एक बेहतरीन बेस पॉइंट है। यहां से कई छोटे-बड़े ट्रेक निकलते हैं जो आपको घने जंगलों और घास के मैदानों (बुग्यालों) से होकर ले जाते हैं।
स्थानीय संस्कृति का अनुभव: यहां के लोगों का सरल जीवन और उनकी मेहमाननवाजी आपका दिल जीत लेगी। आप यहां गढ़वाली संस्कृति को करीब से देख और समझ सकते हैं।
फोटोग्राफी के लिए स्वर्ग: चाहे उगते सूरज का नज़ारा हो या रात में तारों से भरा आसमान, पिंस्वाड़ हर फोटोग्राफर के लिए किसी जन्नत से कम नहीं है।
धारी देवी मंदिर: गांव में ही स्थित धारी देवी का एक प्राचीन मंदिर है, जो स्थानीय लोगों की आस्था का बड़ा केंद्र है। यहां आकर आपको एक आध्यात्मिक शांति का अनुभव होगा।
कैसे पहुंचें पिंस्वाड़?
इस छुपी हुई जगह तक पहुंचना भी अपने आप में एक रोमांच है।
हवाई जहाज से: सबसे नजदीकी एयरपोर्ट देहरादून का जौलीग्रांट एयरपोर्ट (लगभग 215 किमी दूर) है।
ट्रेन से: सबसे करीबी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश (लगभग 200 किमी दूर) है।
सड़क मार्ग से: एयरपोर्ट या स्टेशन से आपको टैक्सी या बस लेकर रुद्रप्रयाग या ऊखीमठ पहुंचना होगा। ऊखीमठ के बाद एक छोटे से ट्रेक के बाद आप इस खूबसूरत गांव में कदम रखेंगे।
घूमने का सबसे अच्छा समय
पिंस्वाड़ घूमने के लिए मार्च से जून और सितंबर से नवंबर तक का समय सबसे शानदार होता है। इस दौरान मौसम सुहावना रहता है और हिमालय के नज़ारे भी एकदम साफ दिखते हैं। मानसून (जुलाई-अगस्त) में लैंडस्लाइड के खतरे और सर्दियों (दिसंबर-फरवरी) में भारी बर्फबारी के कारण जाने से बचना चाहिए।