राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की जन्मतिथि पर एक विवाद ने राजनीतिक माहौल में हलचल मचा दी है। मामला बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर की तस्वीर को लालू यादव के जन्मदिन समारोह में पैर के पास रखने को लेकर उभरा है, जो अब राजनीति में एक बड़ा मुद्दा बन चुका है।
यह विवाद तब शुरू हुआ जब राजद कार्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में बाबा साहब की तस्वीर को मंच के पास रखा गया, लेकिन कुछ लोगों ने देखा कि तस्वीर को पैर के पास रखा गया था। इस पर विभिन्न दलों और नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी। विरोधियों का कहना है कि यह एक असंवेदनशील कदम था, जो बाबा साहब के सम्मान के खिलाफ था। वहीं राजद नेताओं का कहना है कि यह एक गलती थी और इसे जानबूझकर नहीं किया गया था।
विपक्ष का आरोपविपक्षी दलों ने इस घटना को सांप्रदायिक और समाजिक ध्रुवीकरण का हिस्सा बताते हुए इसकी निंदा की है। उनका आरोप है कि राजद ने जानबूझकर बाबा साहब आंबेडकर की छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की है। भाजपा और अन्य दलों के नेताओं ने इसे एक ‘कुत्सित प्रयास’ करार दिया है, जो आंबेडकर के प्रति अनादर दर्शाता है।
राजद का जवाबराजद ने इस मामले में सफाई दी है कि यह एक "अनजाने में हुई गलती" थी और यह किसी भी प्रकार से आंबेडकर साहब के सम्मान को ठेस नहीं पहुंचाने का उद्देश्य नहीं था। पार्टी के नेताओं ने इसे केवल एक असावधानी बताया और सभी से आंबेडकर के योगदान को सम्मान देने की अपील की है।
राजनीतिक नूरा-कुश्तीयह घटना अब राजनीति में नूरा-कुश्ती का रूप ले चुकी है, जिसमें दोनों पक्ष एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप की बौछार कर रहे हैं। विपक्ष इस मुद्दे को पूरी ताकत से उठा रहा है, जबकि राजद इसे एक 'अपराध' नहीं मानता और सफाई दे रहा है।