महाराष्ट्र के पालघर जिले से मानवता को शर्मशार करने वाली घटना सामने आ रही है। जहां पर अस्पताल की तरफ से पिता को मृत नवात बेटी के शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं दी गई। फिर क्या था लाचार पिता ने नवजात बेटी के शव को प्लास्टिक की थैली में लपेटा।
जिसके बाद बस से करीब 70-90 किलोमीटर का सफर तय कर अपने गांव लौटा। बता दें कि अस्पताल ने शव वाहन देने से इंकार कर दिया। जिसके बाद पिता के पास कोई विकल्प नहीं बचा। मजबूरन उसे शव थेली में लपेटकर ले जाना पड़ा।
दरअसल जोगलवाड़ी गांव के निवासी सखरम कावर की नवजात बेटी का निधन हो गया। सखरम और उनकी 26 साल की पत्नी अविता दिहाड़ी मजदूरी करते है। हाल ही में सुरक्षित प्रसव के लिए वो अपने गांव गए थे। 11 जून को प्रसव पीड़ा हुई लेकिन सरकारी एम्वुलेंस समय पर आ नहीं पाई।
कई सारे हॉस्पिटल के चक्कर लगाने के बाद नासिक में 12 जून की रात मृत बच्ची जन्मी। अगले दिन सुबह अस्पताल ने बच्ची का शव परिवार को सौंप दिया। नवजात बच्ची का शव तो दे दिया पर उसको ले जाने के लिए कोई एम्बुलेंस नहीं दी गई।
सखरम की ये बातें पढ़कर आपकी आंखों में भी आंसू आ जाएंगे। उन्होंने कहा, “मैंने 20 रुपए में थैली खरीदी, बच्ची को कपड़े में लपेटा और बस से गांव लौटा।”
चीजें यहीं नहीं खत्म होती। जब 13 जून को वो पत्नी को घर लाने के लिए नासिट लौटे उस दौरान भी कोई एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं करवाई गई। इस मामले में स्वास्थ्य अधिकारियों ने आरोपों पर कहा कि सखरम ने खुद ही एम्बुलेंस लेने से इनकार कर दिया। अस्पताल ने उन्हें सभी जरूरी मदद दी।
ये घटना केवल पालघर जिले की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को उजागर नहीं करती है बल्कि ये यह भी दर्शाती है कि कैसे प्रशासनिक लापरवाही के कारण गरीब को समस्याओं का सामना करना पड़ता है।