Eletricity बिल: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में रहने वाले लोग हर गर्मियों में बिजली बिल की बढ़ती राशि को लेकर परेशान रहते हैं. मार्च से नवंबर के बीच एसी और पंखों के बढ़े उपयोग से बिजली खपत में उछाल आता है. इस बार चर्चा है कि बिजली दरों में फिर बढ़ोतरी हो सकती है, जिससे यूपी वालों की जेब और ढीली हो सकती है.
आइए एक अनुमान लगाते हैं कि अगर कोई उपभोक्ता रोजाना 1 छत पंखा और 1.5 टन का 5-स्टार स्प्लिट एसी 10 घंटे चलाता है, तो उसकी मासिक बिजली खपत कितनी होगी:
उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) और नोएडा पावर कंपनी लिमिटेड (NPCL) इन शहरों में बिजली वितरण का काम देखती हैं. शहरी क्षेत्र में बिजली दरें कुछ इस प्रकार हैं:
267 यूनिट खपत पर बिल का गणित:
दिल्ली में बिजली की आपूर्ति BSES और टाटा पावर जैसी कंपनियां करती हैं. यहां 2025 में घरेलू टैरिफ इस प्रकार हैं:
अगर खपत 200 यूनिट से कम रहती है, तो बिल पूरी तरह माफ हो जाता है. लेकिन 200 यूनिट से ऊपर खपत होने पर पूरा बिल वसूला जाता है.
एक ही पंखा और एसी चलाने पर 267 यूनिट खपत होती है. अब दिल्ली में इसका अनुमानित बिल कुछ यूं होगा:
जबकि यूपी में वही खपत पर बिल है ₹1828.62, यानी दिल्ली के मुकाबले 1377 रुपये ज्यादा, जो लगभग 30-38% ज्यादा है.
दिल्ली में बिजली सब्सिडी नीति ने उसे सस्ती बिजली देने वाला राज्य बना दिया है. वहीं, यूपी में बिजली की दरें अधिक, FPPCA शुल्क, और TOD सरचार्ज जैसी व्यवस्थाओं के चलते आम उपभोक्ता पर अधिक बोझ पड़ता है.
अगर यूपी सरकार दिल्ली की तर्ज पर सब्सिडी योजना लाती है, या बिजली दरों में कटौती करती है, तो लाखों उपभोक्ताओं को गर्मी में राहत मिल सकती है. खासकर गाजियाबाद, नोएडा और ग्रेटर नोएडा जैसे तेजी से बढ़ते शहरी इलाकों में यह बदलाव आवश्यक होता जा रहा है.