परमाणु संयंत्र: हरियाणा के फतेहाबाद जिले में बन रही गोरखपुर हरियाणा अणु विद्युत परियोजना उत्तर भारत के लिए ऐतिहासिक ऊर्जा परियोजना साबित होगी. यह न्यूक्लियर पावर प्लांट पूरे उत्तर भारत का पहला होगा, जिसकी कुल उत्पादन क्षमता 2800 मेगावाट होगी. परियोजना के पूर्ण होने के बाद इसमें से 50% बिजली हरियाणा को सीधे तौर पर मिलेगी, जिससे राज्य की बिजली आपूर्ति व्यवस्था को बड़ा बल मिलेगा.
शनिवार को केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल और हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने संयुक्त रूप से परियोजना स्थल का निरीक्षण किया. उन्होंने NPCIL (भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड) के अधिकारियों से परियोजना की वर्तमान प्रगति और भविष्य की योजनाओं की जानकारी ली. मंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म “एक्स” (पूर्व में ट्विटर) पर जानकारी दी कि यह परियोजना उत्तर भारत की लंबे समय तक ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में सहायक होगी.
GHAVP परियोजना में चार प्रेशराइज्ड हेवी वॉटर रिएक्टर (PHWR) लगाए जा रहे हैं, जिनमें से प्रत्येक की क्षमता 700 मेगावाट होगी. पूरी परियोजना की लागत लगभग ₹41,594 करोड़ बताई गई है. ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार, दो यूनिट 2031 तक और बाकी दो 2032 तक कार्यशील हो जाएंगी.
इस संयंत्र से उत्पन्न होने वाली कुल 2800 मेगावाट बिजली में से 1400 मेगावाट यानी 50% बिजली हरियाणा को आपूर्ति की जाएगी. शेष बिजली देश के केंद्रीय ग्रिड में जाएगी, जिसका उपयोग आवश्यकता अनुसार विभिन्न राज्यों में किया जाएगा.
इस परियोजना को जनवरी 2014 में स्वीकृति मिली थी, लेकिन तकनीकी और प्रशासनिक कारणों के चलते निर्माण कार्य में देर हुई है. आमतौर पर परमाणु परियोजनाओं को 13 से 13.5 वर्ष का समय लगता है, और GHAVP भी इसी रेंज में पूरी होने की संभावना है.
मंत्री मनोहर लाल ने बताया कि यह परियोजना ‘स्वच्छ ऊर्जा’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के सपनों को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. इसके जरिए शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को भी मजबूती मिलेगी.
NPCIL ने CSR (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) के तहत स्थानीय क्षेत्र में स्कूलों, सड़कों, मेडिकल वैन और एस्ट्रो टर्फ हॉकी मैदान के निर्माण में लगभग ₹80 करोड़ खर्च किए हैं. इससे क्षेत्रीय विकास को भी बल मिला है और स्थानीय लोगों में इस परियोजना को लेकर विश्वास और उम्मीद दोनों बढ़ी है.
मंत्री ने यह भी बताया कि सरकार अब एयर कंडीशनर के तापमान को 20 से 28 डिग्री सेल्सियस के बीच मानकीकृत करने की योजना पर काम कर रही है. इससे बिजली की खपत में भारी कमी आ सकती है, जो दीर्घकालिक रूप से ऊर्जा संरक्षण में मददगार होगी.
GHAVP जैसी परियोजनाएं भारत को ऊर्जा आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर करने में मुख्य भूमिका निभा रही हैं. परमाणु ऊर्जा एक सुरक्षित, सस्ती और दीर्घकालिक ऊर्जा स्रोत है, जिससे देश की आर्थिक विकास गति को स्थायित्व और रफ्तार दोनों मिलते हैं.