UPI नया अपडेट: भारत में डिजिटल भुगतान का सबसे लोकप्रिय माध्यम UPI अब पहले से और तेज़, सुरक्षित और भरोसेमंद बन गया है. 16 जून 2025 से देशभर में UPI प्लेटफॉर्म पर कई तकनीकी अपग्रेड लागू किए गए हैं, जिससे पेमेंट की स्पीड 66% तक बढ़ा दी गई है और रिवर्सल प्रोसेस पहले से कहीं अधिक तेज़ और विश्वसनीय हो गया है.
National Payments Corporation of India (NPCI) ने UPI की ओवरऑल एफिशिएंसी बढ़ाने के लिए इस महत्वपूर्ण अपग्रेड की शुरुआत की है. इसका लक्ष्य न केवल स्पीड बढ़ाना है, बल्कि पेमेंट प्रोसेसिंग में होने वाली गलतियों को भी कम करना है. इस अपग्रेड से Google Pay, PhonePe, Paytm, BHIM, WhatsApp Pay समेत सभी UPI सर्विस प्रोवाइडर्स को सीधा लाभ मिलेगा.
NPCI के इस अपग्रेड के तहत Request Pay/Response Pay टाइम को 30 सेकंड से घटाकर 15 सेकंड कर दिया गया है. यानी जब आप कोई UPI पेमेंट भेजते हैं, तो अब ट्रांजैक्शन आधे समय में प्रोसेस होगा. इससे यूजर्स को तेजी से पेमेंट स्टेटस जानने और पुष्टि पाने में सुविधा होगी.
अब अगर किसी कारणवश आपका UPI पेमेंट फेल हो जाता है या कैंसिल होता है, तो उसका रिफंड मात्र 10 सेकंड में आपके अकाउंट में वापस आ जाएगा. यह बदलाव लाखों यूजर्स के लिए बड़ी राहत साबित होगा, जिन्हें पहले रिवर्सल में मिनटों से लेकर घंटों तक इंतजार करना पड़ता था.
NPCI ने UPI से जुड़ी Application Programming Interfaces (APIs) की परफॉर्मेंस को भी अपग्रेड किया है. APIs, UPI सिस्टम में पेमेंट एग्जीक्यूशन, स्टेटस चेक और एड्रेस वैलिडेशन जैसे कार्यों की रीढ़ होती हैं. अब इन प्रक्रियाओं में भी 10 सेकंड के भीतर रिस्पॉन्स मिलने लगा है, जिससे सिस्टम स्मूद और सटीक हो गया है.
इस अपग्रेड से रिमिटर बैंक, लाभार्थी बैंक और पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर्स (PSPs) जैसे Google Pay, PhonePe और Paytm को बेहतर परफॉर्मेंस देने में मदद मिलेगी. इससे ग्राहकों का अनुभव बेहतर होगा और UPI के प्रति भरोसा और भी मजबूत बनेगा.
भारत में हर दिन लाखों की संख्या में UPI ट्रांजैक्शन होते हैं. बढ़ती डिमांड को देखते हुए, NPCI को लगा कि सिस्टम को अपग्रेड करना समय की जरूरत है. पेमेंट में देरी, फेल ट्रांजैक्शन और धीमे रिवर्सल जैसे मुद्दे ग्राहक अनुभव को प्रभावित कर रहे थे. अब इन सभी समस्याओं को इस टेक्नोलॉजिकल अपग्रेड से दूर किया जा सकेगा.
भविष्य में NPCI का लक्ष्य है कि UPI सिस्टम को AI और ML आधारित मॉड्यूल से जोड़ा जाए, ताकि फ्रॉड डिटेक्शन, यूजर बिहेवियर एनालिसिस और ऑटोमैटेड रिस्पॉन्स सिस्टम को और बेहतर बनाया जा सके.