ईरान और इजरायल के बीच चल रहे मौजूदा तनाव के बीच एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है. सुरक्षा के लिए मशहूर इजरायल अब अपने सबसे महंगे हथियारों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल कर रहा है और उसकी कीमत हर गुजरती रात के साथ बढ़ती जा रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईरानी मिसाइल और ड्रोन हमलों को रोकने के लिए इजरायल हर रात करोड़ों रुपए खर्च कर रहा है. इजरायल के डिफेंसिव इंटरसेप्टर की कीमत काफी ज्यादा है. पाकिस्तान जैसे छुटभैया देश तो इसकी कल्पना तक नहीं कर सकते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं इजराइल का डिफेंसिव सिस्टम कितना महंगा है और वो ईरानी मिसाइलों को रोकने के लिए हर रात कितना खर्च कर रहा है?
इन हथियारों से ध्वस्त हो रही मिसाइलेंइस भारी-भरकम खर्च का सीधा संबंध इजरायल की मल्टी-लेयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम से है, जिसमें तीन प्रमुख इंटरसेप्टर सिस्टम शामिल हैं एरो सिस्टम, डेविड्स स्लिंग और आयरन डोम. इन तीनों की अपनी-अपनी भूमिका और कीमत है, और मौजूदा संघर्ष में इनका स्टॉक तेजी से घटता जा रहा है.
Arrow System सबसे महंगा और सबसे अहमइस सिस्टम को लॉन्ग-रेंज बैलिस्टिक मिसाइलों से बचाव के लिए बनाया गया है. यह ईरान जैसे देशों की ओर से दागी गई ऊंची दूरी की मिसाइलों को इंटरसेप्ट करता है.
यह सिस्टम मध्यम दूरी की मिसाइलों, क्रूज मिसाइलों और बड़े रॉकेटों को रोकने के लिए इस्तेमाल होता है. इसकी एक मिसाइल कीमत 10 लाख डॉलर से अधिक (लगभग 8.3 करोड़ रुपये).
Iron Dome नजदीकी हमलों के खिलाफ कवचयह सिस्टम गाजा या सीमावर्ती इलाकों से आने वाले रॉकेटों और मोर्टार को इंटरसेप्ट करने के लिए है. इसकी एक मिसाइल की कीमत 20,000 से 100,000 डॉलर (लगभग 16.7 लाख से 83 लाख रुपये) है. कम दूरी के हमलों में अहम भूमिका निभाता है.
क्यों चिंता में है इजरायल?वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका को इस संकट की जानकारी महीनों पहले ही हो चुकी थी. अब जब हालात वास्तविक युद्ध की ओर बढ़ते दिख रहे हैं, इजरायल को अपने डिफेंस इंटरसेप्टर्स के खर्च और स्टॉक दोनों को लेकर दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है.
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह संघर्ष लंबा खिंचता है, तो इजरायल को न सिर्फ वित्तीय दबाव झेलना होगा, बल्कि उसकी रक्षा प्रणाली की प्रभावशीलता भी खतरे में पड़ सकती है.
दूसरी ओर, पाकिस्तान और हमास जैसे संगठन इस स्तर की खर्चीली डिफेंस रणनीति की कल्पना भी नहीं कर सकते. यही इजरायल की तकनीकी और सामरिक बढ़त को दर्शाता है लेकिन यह बढ़त कितने दिन टिकेगी, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आने वाले दिनों में ईरान के साथ तनाव कितनी दूर तक जाता है.