डोनाल्ड ट्रंप की ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ पॉलिसी उल्टा असर कर सकती है. ये पॉलिसी उनके देश के लोगों और उद्योगों को नुकसान पहुंचा सकती है. ट्रंप के 30 अरब डॉलर के ऑटो टैरिफ (आयात शुल्क) का सीधा असर कार खरीदने वाले अमेरिकी लोगों पर पड़ेगा. सीधे शब्दों में कहें तो इसका खामियाजा आम अमेरिकी भुगतेंगे.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, जुलाई के करीब आते ही जब ये टैरिफ लागू होंगे तो हर कार की कीमत करीब 2,000 डॉलर यानी करीब 1.75 लाख रुपये तक बढ़ने की संभावना है. इससे अमेरिका में पहले से ही महंगी कारों की कीमतें और बढ़ जाएंगी. रिपोर्ट में ब्लूमबर्ग की सलाहकार कंपनी एलेक्सपार्टनर्स का हवाला देते हुए यह जानकारी दी गई है.
इतनी महंगी हो जाएंगी कारेंकंपनी का अनुमान है कि ऑटो कंपनियां इन टैरिफ का करीब 80% बोझ ग्राहकों पर डालेंगी, जिससे औसतन हर कार की कीमत करीब 1.5 लाख रुपये ज्यादा हो जाएगी. इसके चलते अगले तीन सालों में अमेरिका में कारों की बिक्री में 10 लाख यूनिट की गिरावट आ सकती है. हालांकि कंपनी को उम्मीद है कि 2030 तक बिक्री फिर बढ़कर सालाना 1.7 करोड़ यूनिट तक पहुंच जाएगी, जो पिछले साल की तुलना में 10 लाख ज्यादा होगी, क्योंकि तब तक टैरिफ का असर कम हो जाएगा.
बड़ी कार कंपनियों की चेतावनीअमेरिका की बड़ी कार कंपनियां पहले ही इस असर को लेकर चेतावनी दे चुकी हैं. जनरल मोटर्स को इस साल टैरिफ से 5 अरब डॉलर का नुकसान होने की उम्मीद है, जबकि फोर्ड को 2.5 अरब डॉलर के नुकसान का अनुमान है. दोनों कंपनियों का कहना है कि वे इस असर को कुछ हद तक कीमतों में बदलाव करके संभालने की कोशिश करेंगी.
आगे घट सकता है असरदूसरी ओर एलेक्सपार्टनर्स का अनुमान की अच्छी बात ये है कि टैरिफ की वजह से फिलहाल तो कारों की कीमतें बढ़ेंगी, लेकिन आगे इसमें राहत की उम्मीद है. उनका मानना है कि जैसे-जैसे ट्रेड डील आगे बढ़ेगी, टैरिफ धीरे-धीरे कम होंगे. अभी इंपोर्टेड कारों पर 25% टैरिफ है, लेकिन भविष्य में पूरी तरह से बनी कारों पर यह घटकर 7.5% और पुर्जों पर 5% हो सकता है. अमेरिका-मेक्सिको-कनाडा समझौते (USMCA) के तहत आने वाले वाहनों पर तो और भी कम टैरिफ लग सकता है.
सब्सिडी में कटौती से ऑटो इनोवेशन पर बुरा असरअमेरिकी ऑटो इंडस्ट्री के लिए एक और चिंता की बात है ये है कि जहां टैरिफ भविष्य में घट सकते हैं, लेकिन इलेक्ट्रिक व्हीकल इंसेंटिव में कटौती का असर होगा. एलेक्सपार्टनर्स ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार 7,500 डॉलर (करीब 6.5 लाख भारतीय रुपये) की ईवी सब्सिडी योजना बंद करती है तो ग्राहक फिर से सस्ती पेट्रोल-डीजल गाड़ियां खरीदेंगे.
अमेरिका में घटेगी इलेक्ट्रिक कारों की बिक्रीइसके अलावा कंपनी ने 2030 तक अमेरिका में इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री में गिरावट का अनुमान जताया है. दावा है कि अमेरिका में 2030 तक कुल गाड़ियों में ईवी की हिस्सेदारी सिर्फ 17% होगी, जबकि पहले ये अनुमान 31% था. दूसरी ओर पेट्रोल-डीजल इंजन वाली गाड़ियों ही हिस्सेदारी 50% से ज्यादा होगी, जो पहले 33% माना जा रहा था. इस बीच हाइब्रिड गाड़ियों की हिस्सेदारी में अच्छी खासी बढ़ोतरी हो सकती है, लेकिन प्लग-इन हाइब्रिड और एक्सटेंडेड रेंज ईवी घटकर सिर्फ 6% रह जाएंगे, जो पहले 10% मानी गई थीं.