ग्रे मार्केट में 48 प्रतिशत तक पहुंचा Eppeltone Engineers IPO का प्रीमियम, टूट पड़े निवेशक, मिल रहा है बंपर सब्सक्रिप्शन

17 जून को सब्सक्रिप्शन के लिए खुले एप्पेलटोन इंजीनियर्स लिमिटेड आईपीओ (Eppeltone Engineers IPO) ने ग्रे मार्केट में धूम मचा रखी है। बाजार विश्लेषकों के अनुसार अनलिस्टेड मार्केट में Eppeltone Engineers IPO GMP 62 रुपये है जो कैप प्राइस की तुलना में 48.4 प्रतिशत अधिक है। इस इश्यू का उच्चतम जीएमपी 65 रुपये रहा है। 18 जून को जीएमपी 58 रुपये था जो 19 जून को बढ़ कर 62 रुपये हो गया।
ग्रे मार्केट में इस इश्यू की हलचल का सीधा असर सब्सक्रिप्शन पर नजर रहा है और निवेशक टूट पड़े हैं। यह एसएमई आईपीओ सब्सक्रिप्शन के पहले दिन 8.28 गुना बुक हुआ था। सब्सक्रिप्शन के दूसरे दिन तेजी आई और यह इश्यू 36.97 गुना बुक हुआ।
तीसरे दिन बंपर सब्सक्रिप्शन मिल रहा है। दोपहर 1:45 बजे तक यह इश्यू लगभग 147 गुना सब्सक्राइब हो चुका है। रिटेल कैटेगरी करीब 153 गुना, एनआईआई कैटेगरी 260 गुना और क्यूआईबी कैटेगरी करीब 51 गुना बुक हो चुकी है।
यह एसएमई आईपीओ 41.75 करोड़ रुपये का एक बुक बिल्डिंग इश्यू है। यह 32.62 लाख शेयरों का पूरी तरह से फ्रेश इश्यू है। कंपनी ने आईपीओ का प्राइस बैंड 125 रुपये से 128 रुपये प्रति शेयर तय किया गया है। इस इश्यू में निवेश के लिए न्यूनतम लॉट साइज 1000 शेयर रखा गया है।
Eppeltone Engineers Limited इलेक्ट्रॉनिक एनर्जी मीटर, खासकर स्मार्ट मीटर और पावर कंडीशनिंग डिवाइस के निर्माण में विशेषज्ञता रखती है। कंपनी का प्रोडक्ट पोर्टफोलियो काफी विविध है, जिसमें AVR, MCBs, ट्रांसड्यूसर, UPS सिस्टम, और हाई-ग्रेड चार्जर शामिल हैं।
कंपनी मुख्य रूप से B2B सेगमेंट में काम करती है और अपने अधिकांश उत्पाद और सेवाएं सरकारी एजेंसियों को प्रदान करती है। इसके अलावा यह कुछ उत्पाद प्राइवेट सेक्टर को भी सप्लाई करती है, जिसमें विभिन्न इंडस्ट्रीज़, कमर्शियल और घरेलू ग्राहक शामिल हैं।
कंपनी का रेवेन्यू वित्त वर्ष 24 में 80.04 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 25 में 125.74 करोड़ रुपये रहा है। प्रॉफिट आफ्टर टैक्स वित्त वर्ष 24 में 8.16 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 25 में 11.23 करोड़ रुपये रहा है।
Eppeltone Engineers लिमिटेड अपने आईपीओ (IPO) से प्राप्त शुद्ध आय का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए करने की योजना बना रही है। कंपनी इस फंड का सबसे बड़ा हिस्सा अपनी वर्किंग कैपिटल जरूरतों को पूरा करने के लिए इस्तेमाल करेगी।
इसके अलावा कुछ राशि फैक्ट्री में अतिरिक्त मशीनरी की स्थापना के लिए पूंजीगत व्यय (कैपिटल एक्सपेंडिचर) पर खर्च की जाएगी। इसके साथ ही राशि का कुछ हिस्सा सामान्य कॉर्पोरेट जरूरतों और आईपीओ से संबंधित खर्चों को पूरा करने के लिए किया जाएगा।
(अस्वीकरण: विशेषज्ञों द्वारा दी गई सिफारिशें, सुझाव, विचार और राय उनके अपने हैं। ये इकोनॉमिक टाइम्स हिन्दी के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।)