अफगानिस्तान की खुफिया एजेंसी जनरल डायरेक्टोरेट ऑफ इंटेलिजेंस (GDI) ने हाल ही में एक हाई लेवल इंटरनल मीटिंग की. जिसमें ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव के कारण क्षेत्रीय सुरक्षा पर गंभीर चर्चा हुई. मीटिंग का मुख्य फोकस ईरान की इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) और अल-कायदा के सीनियर नेताओं के अफगानिस्तान में घुसपैठ करने की आशंका पर था.
GDI ने बैठक में चिंता जताई कि अगर ईरान में स्थिति और बिगड़ती है, तो IRGC के सीनियर कमांडर और मेंबर्स अफगानिस्तान में भागकर आ सकते हैं. ये लोग तालिबान से सुरक्षा मांग सकते हैं. GDI ने इस संभावना को गंभीरता से लिया और इसके लिए स्ट्रेटजी बनाने पर जोर दिया. विशेषज्ञों का मानना है कि IRGC के सदस्यों का अफगानिस्तान में आना क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा पैदा कर सकता है.
अल-कायदा के नेताओं की अफगानिस्तान में नो-एंट्रीमीटिंग में अल-कायदा के सीनियर नेताओं खासकर सैफ अल-आदिल और अबू अब्दुलरहमान के ईरान से भागकर अफगानिस्तान आने की आशंका पर भी चर्चा हुई. ये दोनों नेता वर्तमान में ईरान में छिपे हुए माने जाते हैं. GDI ने तालिबान नेतृत्व से साफ तौर पर पूछा कि अगर ऐसे आतंकी सीमा पर पहुंचते हैं, तो उन्हें रोका जाएगा, निगरानी में रखा जाएगा या वापस भेजा दिया जाएगा.
अल-कायदा के नेताओं का बढ़ता खतरागौरतलब है कि 2021 में अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने ईरान पर अल-कायदा को पनाह देने का आरोप लगाया था. संयुक्त राष्ट्र और अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने भी पुष्टि की कि सैफ अल-आदिल ईरान में रह रहा है और अब वह अल-कायदा का सबसे बड़ा नेता माना जाता है.
शरणार्थियों की बाढ़ की चिंताGDI ने यह भी सवाल उठाया कि अगर ईरान से बड़ी संख्या में नागरिक युद्ध के कारण अफगानिस्तान की सीमा पर शरण मांगने पहुंचते हैं, तो क्या देश इतने बड़े मानवीय संकट को संभाल पाएगा? मीटिंग में इस स्थिति से निपटने के लिए राष्ट्रीय क्षमता, राजनीतिक जोखिम और संसाधनों का हिसाब करने की बात हुई. GDI ने तालिबान सरकार से इमरजेंसी प्लान तैयार करने की मांग की, ताकि सीमा पर अराजकता न फैले.
ईरान-इजरायल वॉर का असरईरान-इजरायल के बीच चल रही मिसाइल वॉर मीडिल-ईस्ट को अस्थिर कर रही हैं. फतेहन-1 जैसी हाइपरसोनिक मिसाइलों के इस्तेमाल और इजरायल के जवाबी हमलों ने स्थिति को और सीरियस बना दिया है. अफगानिस्तान जो पहले से ही आर्थिक और मानवीय संकट से जूझ रहा है, इस तनाव से अछूता नहीं रह सकता. GDI की यह मीटिंग क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता के लिए तालिबान की नीतियों को समझने का एक बड़ा कदम है.