हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। यह दिन भगवान श्रीगणेश को समर्पित होता है और गणपति भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। इस बार आषाढ़ मास की विनायक चतुर्थी व्रत तिथि जून महीने के अंत में आ रही है, जो भक्तों के लिए एक पुण्य अवसर लेकर आई है।
चतुर्थी तिथि और व्रत का निर्धारण
पंचांग के अनुसार, चतुर्थी तिथि की शुरुआत 27 जून 2025, शुक्रवार की रात 01:25 बजे होगी और यह तिथि समाप्त होगी 28 जून 2025, शनिवार की रात 02:22 बजे। तिथि के अनुसार, विनायक चतुर्थी व्रत 28 जून 2025, शनिवार को रखा जाएगा क्योंकि उदया तिथि के अनुसार यह दिन अधिक महत्वपूर्ण होता है।
गणेश व्रत का महत्व और पूजा का फल
शास्त्रों में विनायक चतुर्थी का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में आ रही सभी बाधाएं समाप्त होती हैं और कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। “विघ्नहर्ता” गणपति की कृपा से जीवन के सभी संकट दूर होते हैं और सुख-शांति की प्राप्ति होती है। व्रती को चाहिए कि इस दिन पूर्ण श्रद्धा और नियमों के साथ उपवास करें, गणपति मंत्रों का जाप करें और विशेष रूप से “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का 108 बार जप करें।
व्रत विधि और पूजन समय
1. प्रातः स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजन स्थल को साफ करके गणपति की प्रतिमा स्थापित करें।
2. भगवान को दूर्वा, मोदक, लाल फूल, सिंदूर और फल अर्पित करें।
3. गणेश चालीसा और अथर्वशीर्ष का पाठ करें।
4. दिन भर उपवास रखें और रात में गणेशजी की आरती के बाद फलाहार करें।
पूजन का शुभ समय:
28 जून को प्रातः 06:01 बजे से दोपहर 12:15 बजे तक पूजा करना सबसे शुभ माना गया है।
आषाढ़ विनायक चतुर्थी का पर्व गणेश भक्ति को समर्पित एक अत्यंत शुभ अवसर है। जो भक्त सच्चे मन से व्रत और पूजा करते हैं, उन्हें भगवान गणपति की असीम कृपा प्राप्त होती है। यदि आप भी जीवन में सकारात्मक बदलाव और सफलता की कामना करते हैं, तो 28 जून को विनायक चतुर्थी व्रत अवश्य करें।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।