योग दिवस 2025: क्या है योग, कौन से धर्मग्रंथों से जुड़े हैं इसके तार…किस देवता को कहा जाता है 'पहला योगी'?
TV9 Bharatvarsh June 21, 2025 12:42 PM

योग दिवस 2025: भारत से शुरू हुए योग को आज पूरी दुनिया मानती है. 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है और आज पूरी दुनिया योग की शक्तियों को पहचानती है. योग भारत की सदियों पुरानी परंपरा है या ये कहें युगों पुरानी तो गलत नहीं होगा. योग आज हर किसी को अपने तन और मन को समझने की कला सीखा रहा है.

बेशक आज योग का कोई धर्म ना हो लेकिन इसकी जड़ें हिंदू धर्म से जुड़ी हुई हैं. इसके प्रमाण वेदों और पुराणों में मिलते हैं. हिन्दू धर्म के देवता ही इसके जनक हैं. कौन है वह देवता जिन्होंने इस कला का निर्माण किया. आज हम आपको वही बताने जा रहे हैं.

योग क्या है?

योग अपने शरीर और आत्मा को साधने की कला है. यह वह कला है जिससे आप तन को तो स्वस्थ करते ही हैं बल्कि अपने मन को भी शांत करते हैं. योग सिर्फ एक एक्सरसाइज नहीं, योग एक अध्यात्म है, भारतीय परंपरा की वह कड़ी है जो हमें अपने तन और मन के बीच तालमेल स्थापित करने की कला सिखाती है. योग हमें शरीर और आत्मा को संतुलित रखने का ज्ञान देता है.

योग का इतिहास

योग का इतिहास बहुत पुराना है. योग का कॉन्सेप्ट प्राचीन भारत से आया है इसका उद्भव और इतिहास सिंधु सरस्वती सभ्यता से भी पहले का माना जाता है. कहा जाता है कि 5000 साल पहले इस योग की शुरुआत हुई थी. योग वैदिक युग की देन है. सिंधु घाटी सभ्यता में इसके साक्ष्य भी मिलते हैं.

किन धर्मग्रंथों से जुड़े हैं तार?

योग का उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है. वेदों, पुराणों के अलावा उपनिषदों महाभारत और भागवत गीता में भी योग की चर्चा की गई है. भगवत गीता में ज्ञान योग, भक्ति योग, कर्म योग और राजयोग का उल्लेख मिलता है. योग का मूलरूप अत्यंत सूक्ष्म विज्ञान है. सही मायनों में योग एक आध्यात्मिक अनुशासन है. योग आत्मा साक्षात्कार है. योग का इतिहास हमारे धार्मिक ग्रंथो में छुपा हुआ है.

कौन है पहला योगी?

योग के पहले योगी हैं स्वयं भगवान शिव. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शिव ही मुख्य योगी हैं, आदि योगी हैं, आदि गुरु हैं, योग गुरु हैं. माना जाता है कि हिमालय के कांति सरोवर झील के तट पर आदियोगी शिव ने पौराणिक सप्त ऋषियों को सबसे पहले यह ज्ञान दिया था. आगे चलकर इन्हीं सात ऋषियों ने योग के अनेक पंथों का निर्माण किया. सही मायने में देखा जाए तो योग खुद को साधने की कला है और खुद को साधना शिव से बेहतर कौन जान सकता है. जो हलाहल को कंठ में धारण कर सकते हैं, जो गंगा को जटाओं में बांध सकते हैं. ऐसे शिव ही योग के जनक है. अपने शरीर और मन में सामंजस्य स्थापित करना शिव ही कर सकते हैं. शिव की नटराज मूर्तियां, शिव की मुद्राएं सब इस बात का प्रमाण देते हैं कि शिव ही आदियोगी है. योग की कला के जनक शिव हैं शिव योग हैं और योग ही शिव है. यह दोनों एक दूसरे के पूरक है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. टीवी9 भारतवर्ष इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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