नागौर की ऐतिहासिक धरोहरें बनाएंगी आपकी राजस्थान यात्रा को खास, इन पांच स्थलों को मिस किया तो अधूरी रह जाएगी ट्रिप
aapkarajasthan June 21, 2025 04:42 PM

नागौर जिले में स्थित मीराबाई मंदिर भक्तिकालीन संत और कृष्ण भक्त मीराबाई को समर्पित एक अत्यंत पूजनीय स्थान है। यह मंदिर मीराबाई के जन्मस्थान कुड़की गांव के पास स्थित है और राजपूताना शैली में बना है। कृष्ण भक्ति को अपने जीवन का उद्देश्य बनाने वाली मीराबाई ने यहीं से अपनी आध्यात्मिक यात्रा शुरू की थी। मंदिर में मीराबाई की प्रतिमा और भगवान कृष्ण की मूर्ति स्थापित है, जहां भक्त भजन और कीर्तन करते हैं। यह स्थान न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भक्तिकालीन साहित्य और लोक संस्कृति का जीवंत प्रतीक भी है। हर साल बड़ी संख्या में भक्त यहां आते हैं और मीराबाई के भजनों का आयोजन किया जाता है।

फूल बावड़ी
राजस्थान में अनगिनत बावड़ियां हैं जो उस काल की धार्मिक और सामाजिक प्रथाओं, सांस्कृतिक परंपराओं और रीति-रिवाजों और कला और वास्तुकला की झलक पेश करती हैं। हालांकि इनमें से बहुत सी बावड़ियाँ या तो जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं या उनका उपयोग नहीं किया जा रहा है, लेकिन इन प्राचीन संरचनाओं को बड़े पैमाने पर बचाने के लिए राज्य भर में कई विरासत प्रेमियों द्वारा एक आंदोलन चलाया जा रहा है। ऐसी ही एक बावड़ी है छोटी खाटू में सदियों पुरानी फूल बावड़ी, जिसका रखरखाव बहुत बढ़िया है, हालाँकि अब इसका उपयोग नहीं होता। महाभारत काल में छोटी खाटू शहर का आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व बहुत अधिक था। इस क्षेत्र में बनी कई बावड़ियाँ 10वीं शताब्दी ईसा पूर्व की हैं।

खींवसर किला
यह राजस्थान के नागौर जिले में स्थित एक ऐतिहासिक किला है, जो अपनी भव्य वास्तुकला और सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। इस किले का निर्माण 16वीं शताब्दी में राव करम सिंह ने करवाया था, जो जोधपुर के शासक राव मालदेव के वंशज थे। रेगिस्तानी क्षेत्र में स्थित होने के बावजूद, खींवसर किला अपनी मजबूत दीवारों और खूबसूरत महलों के लिए जाना जाता है। इसकी स्थापत्य शैली में राजपूत और मुगल वास्तुकला का एक सुंदर समामेलन देखा जा सकता है। किले के अंदर खूबसूरत खिड़कियां, दरबार हॉल और आंतरिक प्रांगण इसकी भव्यता को दर्शाते हैं। वर्तमान में इस किले को हेरिटेज होटल में बदल दिया गया है, जो पर्यटकों को शाही जीवनशैली का अनुभव कराता है।

बुलंद दरवाजा
नागौर का बुलंद दरवाजा ऐतिहासिक और स्थापत्य कला का अनूठा उदाहरण है। यह दरवाजा नागौर किले के मुख्य प्रवेश द्वार के रूप में स्थित है और इसका निर्माण मुगल काल में हुआ था। यह दरवाजा अपनी ऊंचाई, भव्यता और मजबूत संरचना के लिए प्रसिद्ध है। बलुआ पत्थर और चूने से बने इस दरवाजे पर मुगल वास्तुकला की छाप साफ दिखाई देती है, जिसमें नक्काशी, मेहराब और कलात्मक डिजाइन शामिल हैं। बुलंद दरवाजा न केवल एक प्रवेश द्वार है, बल्कि सैन्य दृष्टि से भी महत्वपूर्ण रहा है। वर्तमान में यह दरवाजा पर्यटकों को नागौर के समृद्ध इतिहास की झलक दिखाता है। हर साल हजारों लोग इसकी भव्यता को देखने आते हैं।

© Copyright @2025 LIDEA. All Rights Reserved.