ईरान में इजराइल के ऑपरेशन की कामयाबी के पीछे सबसे बड़ा हाथ मोसाद का है. ईरानी खुफिया तंत्र को इजराइल की इसी एजेंसी ने विफल किया है. इसलिए ईरान ने अब मोसाद के एजेंट्स के खिलाफ घरेलू ऑपरेशन शुरू किया है. ईरान के लिए सबसे बड़ा संकट इजराइल के उन हमलों ने खड़ा किया है, जिसमें ईरानी सेना के कमांडर्स, परमाणु और मिसाइल वैज्ञानिकों की हत्या हुई है. ईरान के कमांडर्स, वैज्ञानिक, न्यूक्लियर साइट्स और मिसाइल भंडार की जानकारी इजराइल को मोसाद के एजेंट्स के जरिए मिली है. इसकी पुष्टि एक केस स्टडी करती है.
हमले शुरू होने से लेकर अब तक ईरान को बड़ा नुकसान हुआ जिसके बाद ईरान का खुफिया विभाग हाई अलर्ट पर चला गया. जब ईरानी खुफिया विभाग ने कड़ियां जोड़ीं तो एक नाम सामने आया जो कैथरीन पेरेज शेकेड था. इस नाम पर पड़ताल शुरू हुई, तो पता चला कि तेहरान में मोसाद ने कैथरीन नाम की महिला जासूस को तैनात किया था और इस जासूस की पैठ इतनी गहरी थी कि उसने इजराइल के ऑपरेशंस को कामयाबी के शिखर पर पहुंचा दिया.
फ्रांसीसी नागरिक बनकर रह रही थीजासूस कैथरिन पेरेज शेकेड एक फ्रांसीसी नागरिक थी इसलिए उस पर शक नहीं गया जबकि वो अपनी ट्रेनिंग पूरी करने के बाद ही ईरान आई और इस्लाम में रुचि दिखाई थी. धर्म परिवर्तन करने के बाद उसने ईरानी अधिकारियों की पत्नियों से दोस्ती बढ़ाई. कैथरीन की पैठ ईरानी सैन्य अधिकारियों और वैज्ञानिकों के घर तक हो गई जिसके बाद उसने विश्वास जीतकर ईरान की गोपनीय जानकारी हासिल की. इसी जासूस ने इजराइली वायु सेना को सटीक ठिकानों की जानकारी भी दी.
इजराइली सेना ने इसी जानकारी के आधार पर ईरानी कमांडर्स, वैज्ञानिक और खुफिया ठिकानों पर हमले किए. जो कामयाब भी रहे. यही वजह है कि, ईरान ने मोसाद से जासूसों के खिलाफ ऑपरेशन शुरू किया. जिसमें एक सफलता करज में हासिल हुई, जहां 2 एजेंट्स गिरफ्तार किए गए. दोनों एजेंट्स जर्मनी के नागरिक हैं जो पर्यटक बनकर आए थे. पकड़े गए ये जासूस प्रतिबंधित क्षेत्र से गुजर रहे थे जिन्होंने गुप्त सैन्य ठिकानों को शूट भी किया था.
जासूसों से आत्मसमर्पण करने की अपीलदावा है कि, इन्हें चेतावनी भी दी गई थी, लेकिन उन्होंने इसे नजरअंदाज किया, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और इसी गिरफ्तारी के बाद ईरान ने एक चेतावनी जारी की है जिसमें कहा गया है कि जो लोग इजराइल के लिए जासूसी कर रहे हैं वो सभी 23 जून तक खुफिया विभाग या पुलिस स्टेशनों में आत्मसमर्पण कर दें. अगर वो धोखे के शिकार हुए हैं तो ड्रोन और हथियार भी सौंप दें. यदि इसके बाद किसी को पकड़ा जाएगा तो उसे कठोर दंड का सामना करना पड़ेगा.
यानी ईरान के खुफिया तंत्र मोसाद से जासूसों को पहचानने और पकड़ने में नाकाम है. इसलिए उसे सरेंडर के लिए कहा गया है, जबकि कुछ जगहों पर गिरफ्तारियां भी जारी है, जिसमें सबसे ज्यादा कोम शहर में 22 गिरफ्तारी हुई है.