अमरीश पुरी… हिंदी सिनेमा के इतिहास की वो शख्सियत, जिन्हें फैंस बॉलीवुड का सबसे यादगार, दमदार, बेहतरीन और खूंखार खलनायक भी कहते हैं. 22 जून 1932 को उनका जन्म पाकिस्तान के पंजाब के नवांशहर में हुआ था. आज उनकी 93वीं बर्थ एनिवर्सरी है. पुरी साहब के फिल्मों में आने की कहानी काफी दिलचस्प है. उनका 38 साल की उम्र में बॉलीवुड में डेब्यू हुआ था. वो फिल्मी दुनिया में हीरो बनने आए थे, लेकिन बन बैठे बॉलीवुड के सबसे बड़े खलनायक.
20 साल तक ESIC में की नौकरीफिल्मी दुनिया में आने से पहले अमरीश पुरी अपना गुजारा करने के लिए कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) में काम करते थे. यहां वो क्लर्क के पद पर थे. ये नौकरी अभिनेता ने 20 साल तक की थी. इसके बाद जब उन्होंने बॉलीवुड में एंट्री ली तो ये काम छोड़ दिया था. इसी बीच वो थिएटर भी करते थे. वो थिएटर का जाना-मान नाम हुआ करते थे.
38 की उम्र में किया बॉलीवुड डेब्यूहिंदी सिनेमा में उनकी शुरुआत साल 1970 की फिल्म ‘प्रेम पुजारी’ से हुई थी जो साल 1970 में रिलीज हुई थी. तब वो 38 साल के थे. इसके बाद वो सुनील दत्त की साल 1971 की फिल्म ‘रेशमा और शेरा’ में नजर आए थे. फिर एक्टर ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. हालांकि फिल्मी दुनिया में उनका आगाज 35 साल की उम्र में ही हो गया था. अमरीश सबसे पहले मराठी फिल्म ‘शंततु! कोर्ट चालू आहे’ (1967) में एक अंधे व्यक्ति के किरदार में दिखाई दिए थे.
अमरीश साहब ने अपने करियर में कई फिल्में कीं और कई यादगार किरदारों से सीधे दर्शकों के दिलों में गहरी और अमिट छाप छोड़ी. उनकी बेहतरीन फिल्मों में ‘गदर: एक प्रेम कथा, ‘कोयला’, ‘करण अर्जुन’, ‘दिलजले’, ‘फूल और कांटे’, ‘मुझसे शादी करोगी’, ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’, ‘घायल’, ‘नगीना’ आदि शामिल हैं, जबकि उनके सबसे आइकॉनिक किरदार ‘मोगैंबो’, ‘भैरोंनाथ’, ‘वजीर-ए-आला’, ‘जनरल डॉन्ग’ और ‘बलवंत राय’ हैं.
2005 में हो गया था निधनअमरीश पुरी ने अपने 35 साल के करियर में 350 से ज्यादा फिल्मों में काम किया था. उन्होंने निगेटिव रोल के अलावा फिल्मों में दूसरे तरह के किरदार भी निभाए थे. इस दिग्गज शख्सियत का 12 जनवरी 2005 को 72 साल की उम्र में ब्रेन हेमरेज से निधन हो गया था. उनकी आखिरी फिल्म (कच्ची सड़क) उनके निधन के डेढ़ साल बाद साल 2006 में रिलीज हुई थी.