कौन सा ग्रह किस राशि में कितने दिनों तक रहता है?
TV9 Bharatvarsh June 22, 2025 02:42 PM

Planet Stays Time: ज्योतिष में, ग्रहों का एक राशि से दूसरी राशि में गोचर (यानी भ्रमण) लगातार होता रहता है. प्रत्येक ग्रह की अपनी गति होती है, जिसके कारण वे अलग-अलग समय तक एक राशि में रहते हैं. इस गोचर का प्रभाव सभी राशियों पर पड़ता है. ग्रहों का गोचर कुछ राशि वालों के लिए फायदेमंद होता है तो कुछ राशि वालों के लिए परेशानी का कारण बन जाता है. आइए जानते हैं कि कौन सा ग्रह किस राशि में कितने दिनों तक रहता है?

ग्रहों का राशि में समय
  • सूर्य जब किसी राशि में गोचर करता है तो वह लगभग 1 महीना (30 दिन) उस राशि में रहता है. सूर्य आत्मा, पिता, मान-सम्मान, सरकारी क्षेत्र और आत्मविश्वास का कारक है. इसका गोचर हर महीने बदलता है.
  • चंद्रमा किसी राशि में प्रवेश करता है तो लगभग सवा दो दिन (लगभग 54 घंटे) तक रहता है. चंद्रमा मन, भावनाओं, माता और त्वरित विचारों का कारक है. यह सभी ग्रहों में सबसे तेज गति से चलता है.
  • मंगल एक राशि में लगभग 45 से 57 दिनों तक रहता है. मंगल ऊर्जा, साहस, भूमि, भाई और क्रोध का कारक है.
  • बुध का गोचर हर राशि में लगभग 25 से 30 दिन के लिए होता है. बुध बुद्धि, वाणी, संचार, व्यापार और तर्क का कारक है. इसकी गति सूर्य के आसपास ही होती है.
  • शुक्र एक राशि में लगभग 23 से 30 दिनों के लिए रहता है. शुक्र प्रेम, सौंदर्य, भौतिक सुख-सुविधाओं, कला और वैवाहिक जीवन का कारक है.
  • बृहस्पति (गुरु) लगभग 1 वर्ष (12 महीने) तक एक राशि में रहते हैं. बृहस्पति ज्ञान, धर्म, भाग्य, धन और गुरु का कारक है. यह अपनी धीमी गति के कारण एक राशि में काफी समय तक रहता है.
  • शनि लगभग ढाई वर्ष (2.5 साल) तक एक राशि रहता है. शनि कर्म, अनुशासन, न्याय, आयु, दुख और सेवा का कारक है. यह सबसे धीमी गति से चलने वाले ग्रहों में से एक है.
  • राहु और केतु का गोचर हर एक राशि में लगभग 18 महीने (डेढ़ वर्ष) के लिए होता है. राहु और केतु छाया ग्रह हैं और हमेशा वक्री (उल्टी) चाल चलते हैं. राहु भ्रम, विदेशी संबंध और अचानक घटनाओं का कारक है, जबकि केतु आध्यात्मिकता, अलगाव और अंतर्ज्ञान का कारक है, ये दोनों हमेशा एक दूसरे से 180 डिग्री पर रहते हैं.
  • ये समय अवधि औसत हैं. ग्रहों की गति में वक्री (Retrograde) होने या मार्गी (Direct) होने के कारण थोड़ा बदलाव आ सकता है. ग्रहों के गोचर का ज्योतिष में बहुत महत्व है, क्योंकि ये जिस राशि में जाते हैं, वहां की ऊर्जा को प्रभावित करते हैं और संबंधित राशि के जातकों पर शुभ या अशुभ प्रभाव डालते हैं.

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