भारत की वायुसेना को सशक्त बनाने की दिशा में तेजस Mk1A और अन्य विमानों की खरीद
newzfatafat June 22, 2025 05:42 PM
भारत की सुरक्षा चुनौतियाँ और वायुसेना का सशक्तिकरण भारत वर्तमान में सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिसमें पाकिस्तान के साथ हालिया तनाव और चीन की बढ़ती सैन्य शक्ति शामिल है। इन परिस्थितियों ने वायुसेना, नौसेना और थल सेना को मजबूत करने की आवश्यकता को बढ़ा दिया है। रक्षा खरीद प्रक्रियाओं को सरल और तेज बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। विशेष रूप से ऑपरेशन सिंदूर के बाद से स्थिति में बदलाव आया है।

चीन ने पाकिस्तान को पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की आपूर्ति करने का निर्णय लिया है, जिससे भारत पर अपनी वायु शक्ति को अद्यतन करने का दबाव बढ़ गया है। रिपोर्टों के अनुसार, भारत अमेरिकी F-35 या रूसी Su-57 जैसे विमानों की तत्काल खरीद पर विचार कर रहा है। हालांकि, कुछ विशेषज्ञ रूसी मॉडल को लागत, तकनीकी हस्तांतरण और लॉजिस्टिक्स के मामले में प्राथमिकता देने की सलाह दे रहे हैं।


इस बीच, भारत स्थानीय स्तर पर उन्नत विमानों के विकास में तेजी ला रहा है। डीआरडीओ और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के सहयोग से विकसित हो रहा एडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) एक पांचवीं पीढ़ी का लक्षित लड़ाकू जेट है। इसके साथ ही तेजस Mk1A का उत्पादन भी शुरू हो चुका है, जो 4.5 पीढ़ी का एक आधुनिक मल्टीरोल जेट है।


तेजस Mk1A की पहली खरीद 2021 में 83 जेट के लिए की गई थी, जिसकी लागत लगभग 48 हजार करोड़ रुपये थी। इसके अतिरिक्त, 97 और विमानों की खरीद के लिए 67 हजार करोड़ रुपये की डील भी पक्की हो गई है। यह जेट GE के F404-IN20 इंजन से लैस है, जिसके कारण प्रारंभिक डिलीवरी में लगभग 16 महीने की देरी हुई। हालांकि, अब इसे हल करने के प्रयास तेज किए जा रहे हैं और जुलाई से उड़ान परीक्षण शुरू होने की योजना है।


राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से, फ्रांस से 36 राफेल विमानों की खरीद भी की गई है, जिन्हें बाद में नौसेना के लिए अतिरिक्त अपडेटेड मॉडल में परिवर्तित करने की योजना है। यह भी तय हो गया है कि राफेल में ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल को फिट किया जा सकेगा, जबकि तेजस Mk1A में यह पहले से ही संभव है।


तेजस Mk1A की उड़ान क्षमता 1.8 मैक यानी लगभग 2,222 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक है। यह BVR मिसाइलों के साथ-साथ हवा से हवा और हवा से जमीन दोनों प्रकार की मिसाइलों को ले जाने में सक्षम है। AESA रडार तकनीक इसे दुश्मन विमानों के मुकाबले अधिक प्रभावशाली बनाती है।


उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, HAL इस वर्ष के अंत तक 12 Mk1A विमानों को वायुसेना को सौंपेगा। यह उत्पादन तीन संयंत्रों में किया जा रहा है, जिनमें दो बेंगलुरु में और एक नासिक में है, जिनकी वार्षिक उत्पादन क्षमता कुल 24 जेट तक निर्धारित की गई है। तकनीकी विशेषज्ञों का मानना है कि कुछ मुकाबलों में यह विमान अमेरिकी F-16 से भी कहीं आगे है, विशेषकर एवियोनिक्स और रडार क्षमताओं के क्षेत्र में।


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