एचपी शिवा परियोजना से बदली खगराओं गांव के किसानों की तकदीर, बागवानों को मिले प्लम के अच्छे दाम
Udaipur Kiran Hindi June 23, 2025 12:42 AM

मंडी, 22 जून (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश को फल उत्पादक राज्य बनाने और किसान परिवारों की आय बढ़ाते हुए उनकी आजीविका में सुधार करने की दिशा में प्रदेश सरकार सराहनीय कार्य कर रही है। सरकार की महत्वकांक्षी योजना, बागवानी विभाग के सहयोग और किसानों की मेहनत से मंडी जिला के सुंदरनगर विधान सभा क्षेत्र का गांव खगरांओ एक फल गांव के रूप में विकसित हो रहा है। बागवानी विभाग द्वारा खगरांओ गांव के 36 किसानोें का एक क्लस्टर बनाया गया। गांव के 36 किसान परिवारों ने हिमाचल प्रदेश शिवा परियोजना में 11.5 हेक्टयेर में प्लम का बगीचा तैयार कर उदाहरण पेश किया है। यहां प्लम के चार प्रकार ब्लैक एंबर, रेड ब्यूट, सेंटा रोसा, फ्रायर के लगभग 7428 पौधे लगाए गए हैं। इससे जंगली और बेसहारा जानवरों के प्रकोप और सिंचाई की सुविधा के आभाव में अनुपयोगी भूमि भी किसानों की अच्छी कमाई का जरिया बन गई है।

किसानों की मेहनत व सरकार के सहयोग से बंजर भूमि गुलजार होने से पूरे गांव की तस्वीर और तकदीर बदल गई है। विभाग द्वारा किसानों को बग़ीचे में भूमि विकास, सिंचाई सुविधा के लिए टपक सिंचाई सुविधा, दो लाख लीटर क्षमता का टैंक, पंप हाउस, दो बोर वैल, बिजली उपलब्धता के लिए बिजली का ट्रांसफार्मर, सोलर बाड़बंदी, मशीनरी, कृषि उपकरण, उर्वरक, कीटनाशक इत्यादि निःशुल्क उपलब्ध करवाए गए हैं। इसके अलावा प्लम की चार उन्नत किस्मों के 7428 पौधे भी उपलब्ध करवाए गए हैं। परियोजना के अंतर्गत समय-समय पर किसानों को निःशुल्क प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाता है।

सुंदरनगर की ग्राम पंचायत भलाणा के लाभार्थी व क्लस्टर के प्रधान संजय कुमार ने कहा कि उन्होंने प्लम का बगीचा वर्ष 2021 में एचपी शिव परियोजना के तहत लगाया है। इसमें चार किस्म के प्लम लगाए गए हैं। उसके बाद वर्ष 2022, 23 और 24 में भी पौधे लगाए गए। इसमें हम 36 किसान जुड़े हुए हैं। आज से पहले यहां कुछ भी नहीं होता था, बस गंदम और मक्की बीजते थे जिससे हमारी आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी। इस परियोजना से हमारी आय के साधन में बढ़ोतरी हुई है। हमें नि:शुल्क प्लम के पौधे, पानी की सुविधा और बाड़बंदी भी की गई है। पौधों के लिए मल्चिंग शीट का भी प्रावधान रखा हुआ है।

उन्होंने कहा कि इस वर्ष 400 पौधों में लगभग 5 क्विंटल प्लम की फसल तैयार हुई है, जिसका अच्छा दाम भी मिला है। प्लम अधिकतम 195 रुपए प्रति किलो और न्यूनतम 100 रुपए प्रति किलो से कम नहीं बिका है जिसके लिए हम बहुत खुश हैं कि भविष्य में भी हमारी आय का स्रोत बढ़ता रहेगा। यह परियोजना हमारे गांव के लोगों के लिए रोजगार का साधन बना हुआ है जिसके लिए हम सरकार का धन्यवाद करते हैं।

खगराओं गांव की लाभार्थी तपस्या ने कहा कि उनके गांव में शिवा प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई जिसके अंतर्गत प्लम के पौधे लगाए गए। विभाग की तरफ से उन्हें बागवानी संबंधित नि:शुल्क ट्रेनिंग भी करवाई गई। उन्होंने स्वयं हरियाणा के करनाल में ट्रेनिंग हासिल की। उन्होंने कहा कि शिवा परियोजना महिलाओं के लिए रोजगार का बेहतर साधन बनी जिसके लिए प्रदेश सरकार का धन्यवाद करते हैं। खगराओं गांव के अमर सिंह ने कहा कि श पहले वह गंदम और मक्की बीजते थे तो बंदरों और सूअरों के आतंक से कोई लाभ प्राप्त नहीं होता था। उद्यान विभाग की इस परियोजना से पूरे क्षेत्र में बाड़ बंदी की गई जिससे इस समस्या से बड़ी निजात मिली। आज से पहले खगराओं गांव में कोई भी बगीचा नहीं था, शिवा परियोजना के आने से वह अपने भाग्य का उदय समझते हैं। पहले उनके बच्चे खेतों में आने से कतराते थे परंतु अब बच्चे भी बगीचे के काम में रुचि ले रहें हैं और खेतों के काम में हाथ बंटा रहे हैं। इस वर्ष बगीचे में सैंपल के तौर पर फल आए हैं जिसका दाम 190 रुपए प्रति किलो मिला। उन्होंने शिवा परियोजना से भाग्य उदय के लिए राज्य सरकार का धन्यवाद किया।

बागवानी विभाग सुंदरनगर के विषयवाद् विशेषज्ञ डॉ. राजेश शर्मा ने बताया कि विकास खंड सुंदरनगर में एचपी शिवा परियोजना फेज़-1 के अन्तर्गत 84 हेक्टेयर क्षेत्र में अमरूद, प्लम, मौसमी और जापानी फल के लगभग 54,728 पौधे लगाए गए हैं। आगामी महीनों में लीची के 9375 पौधे भी लगाए जाएंगे और इससे 254 किसान परिवार लाभान्वित हुए हैं। अगामी वर्षों में तैयार किए जाने वाले बगीचों के लिए विकास खंड सुंदरनगर में एचपी शिवा परियोजना फेज़-2 के अंर्तगत 50 हेक्टेयर क्षेत्र भूमि का चयन किया जा चुका है।

उन्होंने बताया कि विभाग ने खगराओं गांव के किसानों को बागवानी की ओर प्रेरित किया और किसानों के सहयोग से खगराओं में प्लम का बगीचा तैयार किया गया है। इस योजना में क्लस्टर बनाकर सामूहिक रूप में किसानों को जोड़ा जा रहा है और सरकार के सहयोग से ही फलदार पौधों के बगीचे तैयार किए जा रहे हैं। उन्होंने युवा पीढ़ी से आग्रह किया कि वे फल उत्पादन को स्वरोजगार के रूप में अपनाएं और अपनी आजीविका को सुदृढ़ करें।

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(Udaipur Kiran) / मुरारी शर्मा

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